क्या देवी-देवताओं की पोशाक केवल हिंदुओं द्वारा ही बनानी चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- हिंदू देवी-देवताओं की पोशाक का निर्माण केवल हिंदुओं द्वारा होना चाहिए।
- मूर्ति पूजा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- राहुल गांधी की टिप्पणियों की आलोचना की गई है।
- तिरंगा फहराना सभी नागरिकों का कर्तव्य है।
- सामाजिक और धार्मिक सम्मान को बनाए रखना आवश्यक है।
मुंबई, 14 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के मथुरा में ठाकुर जी की पोशाक को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीराज नायर ने स्पष्ट किया कि हिंदू देवी-देवताओं की पोशाकें केवल हिंदुओं द्वारा ही निर्मित की जानी चाहिए।
श्रीराज नायर ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि हिंदू धर्म में मूर्ति पूजा एक महत्वपूर्ण आस्था और परंपरा है। जो लोग इसे नहीं मानते हैं, वे हमारे देवी-देवताओं और अनुष्ठानों को केवल व्यापार की दृष्टि से देख सकते हैं, जो उचित नहीं है। उनका मानना है कि हिंदू देवी-देवताओं की पोशाकें केवल हिंदुओं द्वारा बनाई जानी चाहिए, क्योंकि इसमें श्रद्धा और धार्मिक भावना होती है। यह कार्य केवल व्यवसायिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि आस्था और सम्मान के साथ होना चाहिए।
उन्होंने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की आलोचना करते हुए कहा कि वे अक्सर बचकानी टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं। विनायक दामोदर सावरकर के प्रति देश, विशेषकर महाराष्ट्र में गहरी श्रद्धा है। राहुल गांधी द्वारा सावरकर पर की गई अज्ञानी टिप्पणी निंदनीय है। मामला अदालत में गया, लेकिन यह डर का विषय नहीं, बल्कि पब्लिसिटी का एक हथकंडा है। श्रीराज नायर ने कहा कि राहुल को राष्ट्रभावनाओं को आहत करने के लिए माफी मांगनी चाहिए।
श्रीराज नायर ने आगे कहा कि 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ और यह सभी के लिए ख़ुशियों का दिन है। गुलामी के बाद मिली स्वतंत्रता की खुशी में सभी को अपने-अपने परिसर में तिरंगा फहराना चाहिए। उन्होंने कहा कि मस्जिदों में भी तिरंगा फहराने की जरूरत है और मस्जिद कमेटियों को इस पर विचार करना चाहिए। यह किसी के सर्टिफिकेट की बात नहीं है, बल्कि पूरे देश में तिरंगा लहराना हमारे सम्मान, स्वाभिमान और गर्व का प्रतीक है, जिसे हर नागरिक को गर्व के साथ निभाना चाहिए।