क्या 2047 के विकसित भारत में आईआईटी धनबाद की महत्वपूर्ण भूमिका होगी?: पीके मिश्रा
सारांश
Key Takeaways
- आईआईटी धनबाद का योगदान भारत के विकास में महत्वपूर्ण है।
- 2047 तक आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार करने में सहायक।
- नई तकनीक और शोध में अग्रणी।
- छात्रों को टीमवर्क और विनम्रता का महत्व।
- भविष्य की योजनाओं में सरकारी पहल शामिल हैं।
धनबाद, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पीके मिश्रा ने बुधवार को आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के शताब्दी समारोह में कहा कि 2047 तक विकसित भारत बनने की यात्रा में यह संस्थान सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है। माइनिंग, ऊर्जा, अर्थ विज्ञान और अनुप्रयुक्त इंजीनियरिंग के क्षेत्रों में देश को मार्गदर्शन करने वाला यह संस्थान अगले 25 वर्षों में भारत को आत्मनिर्भर और विश्व गुरु बनाने का एक महत्वपूर्ण साधन बनेगा।
शताब्दी फाउंडेशन वीक के उद्घाटन सत्र में हजारों छात्रों, शिक्षकों और पूर्व छात्रों के बीच डॉ. मिश्रा ने संस्थान की सौ साल पुरानी विरासत को सलाम किया। उन्होंने याद दिलाया कि एशिया में खनन शिक्षा का पहला केंद्र यही था। कोल इंडिया, ओएनजीसी, एनटीपीसी, जीएसआई और सीएमपीडीआई जैसे बड़े संस्थानों को दशकों से यहीं से विशेषज्ञ मिलते रहे हैं। संस्थान के शोध ने कोयला खदान में सुरक्षा मानकों को स्थापित किया, तेल-गैस की खोज को नई दिशा दी और खनिजों को शुद्ध करने की तकनीक विकसित की।
डॉ. मिश्रा ने कहा, “एक सदी का होना सिर्फ जश्न नहीं है, बल्कि यह याद दिलाता है कि जब ज्ञान का उपयोग समाज के बड़े भले के लिए किया जाता है, तो क्या-क्या हासिल किया जा सकता है।” उन्होंने संस्थान से अपील की कि अगली सदी में वह देश के लंबे विजन को पूरा करने में अपनी पूरी ताकत लगाए।
2047 के विकसित भारत की तस्वीर खींचते हुए उन्होंने कहा कि वह भारत प्रकृति और संस्कृति के बीच संतुलन बनाते हुए, विज्ञान और तकनीक में दुनिया का लीडर बनेगा। वहां भ्रष्टाचार, जातिवाद और सांप्रदायिकता के लिए कोई जगह नहीं होगी। महिलाएं विकास की कहानी खुद लिखेंगी और हर क्षेत्र में भारत पूरी तरह आत्मनिर्भर होगा।
डॉ. मिश्रा ने पिछले 11 वर्षों की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि महामारी, व्यापार युद्ध, जलवायु परिवर्तन और सप्लाई चेन की रुकावटों के बावजूद भारत ने इस वर्ष दूसरी तिमाही में 8.2 प्रतिशत की मजबूत जीडीपी वृद्धि हासिल की है। दो लाख से अधिक स्टार्टअप और सौ से अधिक यूनिकॉर्न के साथ भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन चुका है।
उन्होंने सरकार की नई पहलों का भी जिक्र किया। एक लाख करोड़ रुपए का नेशनल रिसर्च फंड, इंडिया एआई मिशन, डीप टेक स्टार्टअप के लिए अलग फंड और नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन जैसे कदम भविष्य की नींव रख रहे हैं। चंद्रयान-3, आदित्य-एलआई, ग्रीन हाइड्रोजन मिशन और डीप ओशन मिशन जैसे प्रोजेक्ट यह दर्शाते हैं कि भारत अब सीमाओं से परे सोच रहा है।
डॉ. मिश्रा ने आईआईटी धनबाद को विशेष रूप से याद दिलाया कि क्रिटिकल मिनरल्स, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संक्रमण और उन्नत विनिर्माण में उसकी जिम्मेदारी बहुत बड़ी है। संस्थान की आधुनिक प्रयोगशाला, सुपरकंप्यूटिंग केंद्र और इनक्यूबेशन इकोसिस्टम इसे देश की जरूरतों के लिए पूरी तरह से तैयार बनाते हैं।
उन्होंने छात्रों को संदेश देते हुए कहा, “तकनीकी ज्ञान जरूरी है, लेकिन काफी नहीं। आपके अंदर सही नजरिया, टीमवर्क, विनम्रता और नैतिकता भी होनी चाहिए।” उन्होंने शिक्षकों और पूर्व छात्रों से अपील की कि वे मिलकर पारदर्शिता और सम्मान के साथ देश के बड़े लक्ष्यों को हासिल करने में जुट जाएं।
डॉ. मिश्रा ने कहा, “आईआईटी धनबाद अपनी दूसरी सदी में उस समय कदम रख रहा है जब भारत के पास साफ दिशा और मजबूत इरादा दोनों हैं। अगले 25 वर्ष तय करेंगे कि हम ज्ञान और तकनीक का उपयोग करके कितना समर्थ, गर्व करने लायक और समावेशी भारत बना पाते हैं।”
संस्थान के निदेशक प्रो. सुकुमार मिश्रा और पूरी टीम को इस शानदार आयोजन के लिए धन्यवाद देते हुए डॉ. मिश्रा ने सभी को शुभकामनाएं दीं।