क्या इंदौर सेंट्रल जेल में कैदियों को मिला आध्यात्मिक संदेश?

सारांश
Key Takeaways
- जेल में आध्यात्मिक प्रवचन ने कैदियों को आत्मचिंतन की प्रेरणा दी।
- गलतियों को स्वीकार कर माफी मांगना महत्वपूर्ण है।
- जेल को आत्मशुद्धि और सुधार का अवसर मानें।
- सकारात्मक सोच से कोई भी कठिनाई नहीं रोक सकती।
- समाज को छूटे हुए कैदियों का पुनर्वास करना चाहिए।
इंदौर, 3 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। इंदौर केंद्रीय जेल बुधवार को भक्ति, शांति और आत्मचिंतन की भावना से भरी रही, जब श्रीमद् परमहंस परिव्राजकाचार्य अनंतश्री विभूषित कृष्णगिरी पीठाधीश्वर जगदगुरु श्री श्री 1008 वसंत विजयानंद गिरि महाराज ने वहां कैदियों को आध्यात्मिक प्रवचन दिया।
इस विशेष कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिला और पुरुष कैदियों ने भाग लिया। प्रवचन के दौरान जगदगुरु महाराज ने जीवन के गहरे अर्थों पर प्रकाश डालते हुए कहा, "गलती करना इंसानी स्वभाव है, लेकिन जब हम उसे स्वीकार कर सच्चे मन से माफी मांगते हैं, तो वह गलती बोझ नहीं बनती।"
उन्होंने आगे कहा, "ईश्वर उसी व्यक्ति को क्षमा करता है जो सच्चे हृदय से पश्चाताप करता है और अपने जीवन को सही दिशा में मोड़ने का संकल्प लेता है।"
जगदगुरु ने अपने प्रवचन में कैदियों को यह समझाया कि जेल की कठिन परिस्थितियों को सजा नहीं बल्कि आत्मशुद्धि और आत्मचिंतन का अवसर मानना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर इंसान अपने विचारों को सकारात्मक दिशा में ले जाए, तो कोई भी कठिनाई उसे नहीं रोक सकती।
उन्होंने सभी कैदियों को आह्वान किया कि वे आध्यात्मिक मूल्यों को अपनाएं, खुद को सुधारें और एक नया जीवन शुरू करें।
जगदगुरु महाराज ने यह भी कहा कि समाज और परिवार को चाहिए कि वे जेल से छूटने वाले लोगों को फिर से अपनाएं। उन्होंने कहा, "अगर इन्हें दोबारा सम्मानजनक जीवन जीने का मौका मिलेगा, तो ये लोग समाज के लिए बोझ नहीं, बल्कि एक प्रेरणा और योगदानकर्ता बनेंगे।"
इस आयोजन के दौरान जेल अधीक्षक अलका सोनकर सहित कई अधिकारी भी उपस्थित रहे। अलका सोनकर ने कहा, "जगदगुरु वसंत विजयानंद गिरि महाराज ने कैदियों को संयमित जीवन और विपरीत परिस्थितियों को संभालने की प्रेरणा दी। ऐसे कार्यक्रम कैदियों के मानसिक स्वास्थ्य और जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं।"
कैदियों ने उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। पूरे जेल परिसर में शांति, भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का माहौल देखने को मिला।
राष्ट्र प्रेस
वीकेयू/डीएससी