क्या इंदौर में फर्जी शराब चालान स्कैम का मामला गंभीर है?
सारांश
Key Takeaways
- इंदौर में फर्जी शराब चालान स्कैम की शिकायत दायर हुई है।
- ईडी ने मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
- जांच के दौरान 21.18 करोड़ रुपए की संपत्तियां अटैच की गईं।
- सरकारी राजस्व को 49 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है।
- जारी जांच में और भी तथ्य सामने आ सकते हैं।
इंदौर, 11 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के इंदौर सब-जोनल ऑफिस ने 29 नवंबर को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत शराब के फर्जी चालान स्कैम से संबंधित एक अभियोजन शिकायत स्पेशल कोर्ट (पीएमएलए), इंदौर के समक्ष प्रस्तुत की है। इस पर कोर्ट ने गुरुवार को संज्ञान लिया।
ईडी ने इंदौर के रावजी पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर के आधार पर विभिन्न शराब ठेकेदारों के खिलाफ ट्रेजरी चालान में धोखाधड़ी और जालसाजी करने का आरोप लगाते हुए जांच प्रारंभ की।
आरोपी लोग छोटी रकम के चालान बनाकर उन्हें बैंक में जमा करते थे। चालान के निर्धारित फॉर्मेट में 'रुपए अंकों में' और 'रुपए शब्दों में' लिखा होता था। अंकों में वैल्यू भरी जाती थी, जबकि 'रुपए शब्दों में' के लिए खाली स्थान छोड़ दिया जाता था। जमा करने के बाद, जमा करने वाला 'रुपए शब्दों में' में राशि में हेरफेर करता था और बढ़ी हुई राशि को वहां भर देता था। ऐसे हेरफेर किए गए चालान की कॉपी संबंधित देसी शराब गोदाम या विदेशी शराब के मामले में जिला आबकारी ऑफिस में जमा की जाती थी।
इस प्रक्रिया को इंदौर के जिला आबकारी ऑफिस में अधिकारी को दिखाकर और शराब ड्यूटी/बेसिक लाइसेंस फीस/मिनिमम गारंटी के तौर पर राशि जमा करके NOC प्राप्त की जाती थी। इस प्रकार, कम ड्यूटी चुकाकर ज्यादा शराब का स्टॉक जमा कर लिया जाता था, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान होता था।
पीएमएलए जांच से पता चला कि राजू दशवंत, अंश त्रिवेदी और अन्य शराब ठेकेदार मिलकर 49 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई से जुड़े विभिन्न प्रोसेस और गतिविधियों में शामिल थे, जो जालसाजी, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश से संबंधित थे। पहले, ईडी ने इस मामले में मुख्य आरोपी राजू दशवंत और अंश त्रिवेदी को गिरफ्तार किया था। वे वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।
जांच के दौरान, ईडी इंदौर सब-जोनल ऑफिस ने 28 नवंबर को एक प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर भी जारी किया था, जिसमें 21.18 करोड़ रुपए की 28 अचल संपत्तियां (अधिग्रहण मूल्य) अटैच की गई थीं। इन संपत्तियों की मौजूदा बाजार मूल्य 70 करोड़ रुपए से अधिक है। फिलहाल, आगे की जांच जारी है।