क्या ईरान पर अमेरिकी बमबारी खुली आक्रामकता है?: जमीयत उलेमा-ए-हिंद

सारांश
Key Takeaways
- मौलाना महमूद असद मदनी ने अमेरिकन बमबारी की निंदा की।
- बमबारी को अंतरराष्ट्रीय समझौतों का उल्लंघन बताया गया।
- पश्चिम एशिया में शांति की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
- संयुक्त राष्ट्र को कार्रवाई करने की अपील की गई।
नई दिल्ली, 23 जून (राष्ट्र प्रेस)। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने हाल ही में ईरान पर की गई अमेरिकी बमबारी की सख्त भर्त्सना की और इसे अंतरराष्ट्रीय समझौतों तथा संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का स्पष्ट उल्लंघन बताया।
मौलाना मदनी ने कहा कि इजरायल वर्तमान में पश्चिम एशिया में रक्तपात और आतंकवाद का केंद्र बन चुका है, जिसे अमेरिका का पूरा समर्थन प्राप्त है। अमेरिका ने हमेशा अपनी आक्रामक नीतियों से विश्व को हानि पहुंचाई है, और अब पश्चिम एशिया में उसका अस्तित्व एक मरहम के बजाय जहर में बदल चुका है।
उन्होंने यह भी कहा कि जब तक पश्चिम एशिया के देश एकजुट होकर अमेरिकी अड्डों को समाप्त नहीं करते, तब तक इस क्षेत्र में स्थायी शांति नहीं स्थापित हो सकती। अन्यथा, यह क्षेत्र एक-एक करके शैतानी साजिशों का शिकार होता रहेगा, जैसा कि पूर्व में इराक, अफगानिस्तान और लीबिया के साथ हुआ है, और अब वही घिनौना खेल ईरान के खिलाफ दोहराया जा रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि किसी भी शक्तिशाली देश को यह अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए कि वह अपनी सैन्य शक्ति के बल पर दुनिया के किसी भी हिस्से में आक्रामकता का प्रयोग करे। ऐसी कार्रवाइयां न केवल अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन हैं, बल्कि ये पूरे विश्व में अविश्वास, नफरत और अस्थिरता को बढ़ावा देती हैं। सभी को मानवता के लिए निर्धारित सिद्धांतों का पालन करना चाहिए, और हर वह कदम जो मासूम जानों को निशाना बनाए, मानवाधिकारों का उल्लंघन करे, और वैश्विक शांति को खतरे में डाले, उसे अस्वीकार्य माना जाना चाहिए।
मौलाना महमूद असद मदनी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय, संयुक्त राष्ट्र, न्यायप्रिय देशों और शांतिप्रिय वर्गों से अपील की कि वे इस मामले को गंभीरता से लें, युद्धविराम की कोशिशों को प्राथमिकता दें, और उन शक्तिशाली तत्वों के खिलाफ सामूहिक कार्रवाई करें जो मानवता के खिलाफ लगातार अपराध कर रहे हैं, जिनमें इजरायल सबसे आगे है।