क्या इस्लामपुर विधानसभा सीट पर पलटेगा पासा? 2020 में राजद ने जदयू के गढ़ को तोड़ा

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क्या इस्लामपुर विधानसभा सीट पर पलटेगा पासा? 2020 में राजद ने जदयू के गढ़ को तोड़ा

सारांश

इस्लामपुर विधानसभा सीट पर 2020 में राजद ने जदयू को हराया था। क्या इस बार भी राजद जीत पाएगी? जानें इस दिलचस्प चुनावी मुकाबले की पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • इस्लामपुर विधानसभा सीट का धार्मिक महत्व है।
  • 2020 में राजद ने जीत हासिल की थी।
  • जातीय समीकरण चुनावी परिणामों पर असर डालते हैं।
  • नीतीश कुमार की जदयू ने रुहैल रोशन को उम्मीदवार बनाया है।
  • राजद ने राकेश कुमार रौशन को अपना कैंडिडेट घोषित किया है।

पटना, 19 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। इस्लामपुर विधानसभा सीट बिहार के नालंदा जिले में स्थित है और यह नालंदा लोकसभा क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है। यहाँ पर राजनीतिक परिदृश्य में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं, और जातीय समीकरण के साथ-साथ इस क्षेत्र का धार्मिक महत्व भी इसे खास बनाता है।

इस्लामपुर, जो नालंदा जिले का एक प्रमुख कस्बा है, को 'छोटी अयोध्या' के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक दृष्टि से इसे विशेष महत्व प्राप्त है क्योंकि यहाँ स्वामी युगलानन्य शरण जी महाराज, जो रामभक्ति शाखा के रसिक सम्प्रदाय के संस्थापक थे, का जन्म हुआ था।

राजनीतिक दृष्टिकोण से यदि देखा जाए तो 1951 में विधानसभा क्षेत्र के रूप में स्थापित इस्लामपुर विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास काफी रोचक रहा है। यह सीट कभी कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) का गढ़ थी, लेकिन पिछले कुछ दशकों में जनता दल (यूनाइटेड) यानी जदयू ने यहाँ अपनी मजबूत पकड़ बनाई।

अब तक कुल 5 बार जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने चुनाव जीते हैं, जबकि कांग्रेस ने 4 और सीपीआई ने 3 बार जीत हासिल की है। हालाँकि, 2020 के विधानसभा चुनाव में यह सीट एक दिलचस्प मोड़ पर थी, जब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने पहली बार यहाँ विजय प्राप्त की। राजद के उम्मीदवार राकेश रौशन ने जदयू के चंद्रसेन प्रसाद को हराकर अपनी पार्टी की जीत दर्ज की।

इस्लामपुर विधानसभा सीट पर कुर्मी और यादव समुदाय के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं, जो इस क्षेत्र के चुनावी परिणामों को प्रभावित करते हैं। साथ ही, रविदास, पासवान, मुस्लिम और कोइरी समुदाय के मतदाताओं की भी महत्वपूर्ण संख्या है। इन जातीय समीकरणों का चुनावी नतीजों पर सीधा प्रभाव पड़ा है, और आगे भी यह निर्णायक साबित हो सकते हैं।

इस बार चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने रुहैल रोशन को उम्मीदवार बनाया है। वहीं राजद ने राकेश कुमार रौशन और जन सुराज पार्टी ने तनुजा कुमारी को अपना कैंडिडेट घोषित किया है।

Point of View

बल्कि यह राज्य के सामाजिक ताने-बाने को भी दर्शाता है। जातीय समीकरण और धार्मिक महत्व इसे एक दिलचस्प चुनावी क्षेत्र बनाते हैं। यहाँ के मतदाता अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं और हर बार नई चुनौतियों का सामना करते हैं।
NationPress
19/10/2025

Frequently Asked Questions

इस्लामपुर विधानसभा सीट का इतिहास क्या है?
इस्लामपुर विधानसभा सीट 1951 में स्थापित हुई थी और इसका राजनीतिक इतिहास काफी रोचक रहा है। यह सीट कभी कांग्रेस और CPI का गढ़ थी।
2020 में इस्लामपुर विधानसभा चुनाव में कौन जीता था?
2020 में राजद के उम्मीदवार राकेश रौशन ने जदयू के चंद्रसेन प्रसाद को हराकर विजय प्राप्त की थी।
इस्लामपुर विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख जातीय समीकरण कौन से हैं?
कुर्मी, यादव, रविदास, पासवान, मुस्लिम और कोइरी समुदाय के मतदाता यहाँ निर्णायक भूमिका निभाते हैं।