क्या इटहिया मेले को विकास और सांस्कृतिक सहयोग का माध्यम बनाया गया है?: मंत्री जयवीर सिंह

Click to start listening
क्या इटहिया मेले को विकास और सांस्कृतिक सहयोग का माध्यम बनाया गया है?: मंत्री जयवीर सिंह

सारांश

इटहिया सावन मेला, जो 11 जुलाई से 9 अगस्त तक चल रहा है, न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी बन गया है। मंत्री जयवीर सिंह ने इसे ग्रामीण महिलाओं और कारीगरों के सशक्तिकरण का एक मंच बताया है।

Key Takeaways

  • इटहिया मेला 11 जुलाई से 9 अगस्त तक जारी रहेगा।
  • यह मेला सामाजिक और आर्थिक विकास का माध्यम है।
  • ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 10 होम-स्टे इकाइयाँ स्थापित की गई हैं।
  • स्थानीय महिलाएँ पारंपरिक व्यंजन तैयार कर रही हैं।
  • यह मेला भारत-नेपाल सांस्कृतिक सहयोग को मजबूत कर रहा है।

लखनऊ, 19 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के महराजगंज जनपद के निचलौल तहसील का पारंपरिक इटहिया सावन मेला इस समय भारत-नेपाल सीमा पर आस्था, संस्कृति और ग्रामीण पर्यटन का एक नया केंद्र बनकर उभर रहा है। यह मेला 11 जुलाई से प्रारंभ हुआ है और 9 अगस्त तक चलेगा।

प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने शनिवार को बताया कि इटहिया मेला केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह सीमांत क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी बन चुका है। उन्होंने कहा कि हमने इस मेले को ग्रामीण महिलाओं, कारीगरों और स्थानीय युवाओं को सशक्त बनाने का एक मंच बनाया है। ऐसे आयोजनों से न केवल हमारी विरासत की सुरक्षा हो रही है, बल्कि सीमांत क्षेत्रों में सतत और समावेशी पर्यटन की संभावनाओं को भी बल मिल रहा है।

पर्यटन विभाग ने इटहिया गांव में ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए 10 होम-स्टे इकाइयों की पहचान की है, जिनमें से 4 वर्तमान में सक्रिय हैं और 6 का विकास कार्य जारी है। ये सभी होम-स्टे स्वच्छ, सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और स्थानीय समुदाय से जुड़े अनुभव प्रदान कर रहे हैं। छोटी गंडक नदी के किनारे स्थित इटहिया शिव मंदिर के पास आयोजित इस मेले में भारत और नेपाल से हजारों श्रद्धालु स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन और जलाभिषेक के लिए प्रतिदिन पहुंच रहे हैं।

यह मेला भारत-नेपाल सांस्कृतिक सहयोग और धार्मिक साझेदारी को नई मजबूती प्रदान कर रहा है। मेले में ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नौकायन, पारंपरिक हस्तशिल्प के स्टॉल और पूर्वांचली व्यंजनों से सज्जित फूड जोन पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। स्थानीय महिलाएं लिट्टी-चोखा, ठेकुआ, मौसमी भरता और पेड़ा जैसे व्यंजन बना रही हैं। वहीं, मूंज शिल्प, कांथा कढ़ाई और अगरबत्ती निर्माण जैसे स्थानीय उत्पाद भी बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।

लमूहां तालाब में नौकायन, भेरिहरी गांव का झूला पुल और लोककथाओं से युक्त पर्यटन स्थलों का संचालन प्रशिक्षित स्थानीय युवाओं द्वारा किया जा रहा है, जिससे उन्हें रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो रहे हैं। पर्यटन मंत्री ने कहा कि इटहिया मेला यह स्पष्ट करता है कि जब आस्था और परंपरा को नीति और तकनीक से जोड़ा जाए, तो वह सीमांत अंचलों में भी विकास का आधार बन सकती है।

Point of View

बल्कि यह सीमांत क्षेत्रों के सामाजिक और आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी बनता जा रहा है। जब आस्था और परंपरा को नीति और तकनीक से जोड़ा जाता है, तो यह विकास का आधार बन सकता है।
NationPress
19/07/2025

Frequently Asked Questions

इटहिया मेला कब से कब तक चलेगा?
इटहिया मेला 11 जुलाई से 9 अगस्त तक चलेगा।
इस मेले में क्या गतिविधियाँ शामिल हैं?
मेले में नौकायन, पारंपरिक हस्तशिल्प के स्टॉल और पूर्वांचली व्यंजन शामिल हैं।
क्या इस मेले से स्थानीय समुदाय को लाभ होता है?
हाँ, यह मेला स्थानीय महिलाओं और युवाओं को सशक्त करने का माध्यम है।