क्या जयपुर में शिव मंदिर को नोटिस जारी करने पर विवाद उत्पन्न हुआ?
सारांश
Key Takeaways
- जयपुर में शिव मंदिर को नोटिस जारी करना विवाद का कारण बना।
- जेडीए के अधिकारी को निलंबित किया गया।
- लोगों में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का आक्रोश है।
- प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
- उचित प्रशासनिक प्रक्रिया का पालन आवश्यक है।
जयपुर, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक विवाद तब पैदा हुआ जब जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) के एक अधिकारी ने शिव मंदिर को नोटिस जारी कर दिया।
वैशाली नगर में स्थित इस मंदिर को मिले नोटिस के बाद स्थिति बिगड़ गई, जिसके परिणामस्वरूप प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए प्रवर्तन अधिकारी अरुण कुमार पूनिया को निलंबित कर दिया।
जेडीए सचिव निशांत जैन ने शुक्रवार को निलंबन का आदेश जारी किया और बताया कि निलंबन के दौरान पूनिया को उनके भत्ते मिलते रहेंगे।
उनका मुख्यालय जयपुर में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कार्मिक) कार्यालय में निर्धारित किया गया है।
यह घटना वैशाली नगर के गांधी पथ पर सड़क चौड़ीकरण अभियान के दौरान हुई, जहां जेडीए की टीम ने कई दुकानों और आवासीय संपत्तियों पर अतिक्रमण की घोषणा करते हुए नोटिस चिपकाए।
इसी क्रम में, शिव मंदिर की चारदीवारी पर भी एक नोटिस चिपका दिया गया, जिसमें इसे अवैध निर्माण बताया गया। यह नोटिस किसी व्यक्ति, मंदिर समिति या कार्यवाहक के बजाय सीधे शिव मंदिर को संबोधित था। इसमें सात दिनों के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया गया।
नोटिस की खबर फैलते ही लोगों में आक्रोश उत्पन्न हो गया। जेडीए के नोटिस से नाराज लोगों ने कहा कि किसी धार्मिक स्थल को इस तरह का आदेश जारी करना असंवेदनशील है और इससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचती है।
विरोध तेज़ी से बढ़ा और इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने मामले का संज्ञान लिया। प्रारंभिक जांच के आधार पर, प्रवर्तन अधिकारी को इस गलती के लिए निलंबित कर दिया गया।
सूत्रों ने बताया कि उचित प्रशासनिक प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी धार्मिक स्थल पर नोटिस चिपकाना एक गंभीर उल्लंघन है।
अधिकारी की कार्रवाई को जानबूझकर की गई लापरवाही और अधिकार का दुरुपयोग माना गया, जिसके परिणामस्वरूप अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई।
जेडीए की प्रवर्तन शाखा द्वारा जारी नोटिस में उच्च न्यायालय के आदेश का भी उल्लेख किया गया है।