क्या जयपुर से गिरफ्तार हुआ एक और शातिर साइबर अपराधी, जिसने वृद्धा से 3 करोड़ की ठगी की?

सारांश
Key Takeaways
- डिजिटल अरेस्ट एक नई प्रकार की धोखाधड़ी है।
- साइबर अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस ने तेज कार्रवाई की।
- जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है।
- पीड़ितों को जल्दी से शिकायत दर्ज करवानी चाहिए।
- साइबर सुरक्षा उपायों का पालन करना चाहिए।
नोएडा, 17 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। नोएडा के साइबर थाना पुलिस ने एक वृद्ध महिला वकील को डिजिटल अरेस्ट कर उनसे तीन करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी करने वाले एक अन्य शातिर साइबर अपराधी को राजस्थान के जयपुर से गिरफ्तार किया है।
इस मामले में साइबर पुलिस ने पहले ही तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था। पुलिस द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, अज्ञात फोन नंबर से पीड़िता के लैंडलाइन नंबर पर कॉल किया गया था और बताया गया कि उनके आधार कार्ड का उपयोग कर बैंक खाते खोले गए हैं, जिनका प्रयोग जुआ और अवैध हथियारों की खरीद में किया गया है।
साइबर अपराधियों ने पीड़िता को गिरफ्तारी का भय दिखाकर ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर 3,29,70,000 रुपए की ठगी की थी, जिसके संबंध में पीड़िता ने अपनी शिकायत दर्ज करवाई थी। इसके बाद, उनकी शिकायत पर 30 जून को थाना साइबर क्राइम ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी।
साइबर पुलिस ने 16 जुलाई को जांच के आधार पर कार्यवाही करते हुए पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट कर 3,29,70,000 रुपए की धोखाधड़ी करने वाले शातिर साइबर अपराधी विपुल नागर (बेनिफिशियरी खाताधारक) को जयपुर, राजस्थान से गिरफ्तार किया है। इस मामले में पहले ही तीन आरोपियों को जेल भेजा जा चुका है।
पुलिस पूछताछ में विपुल नागर ने बताया कि उसने अपने बैंक खाते को सह आरोपी अजीत को दे दिया था, जिस पर धोखाधड़ी से प्राप्त धनराशि को प्राप्त किया जाता था, और आरोपी विपुल नागर को कमीशन मिलता था। इस घटना में 63 लाख रुपये आरोपी विपुल नागर के खाते में ट्रांसफर हुए थे। पुलिस इस मामले से जुड़े अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है।