क्या जयराम ठाकुर ने लाहौल घाटी के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करके प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाए?

सारांश
Key Takeaways
- लाहौल में प्राकृतिक आपदा से गंभीर नुकसान हुआ है।
- पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाए।
- किसानों के लिए राहत पैकेज की आवश्यकता है।
- राजस्व विभाग को नुकसान का आकलन करना चाहिए।
- चन्द्रभागा संगम को बचाना आवश्यक है।
लाहौल, 24 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। हिमाचल प्रदेश के लाहौल में आई प्राकृतिक आपदा ने किसानों और आम लोगों को गंभीर नुकसान पहुँचाया है। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने बुधवार को लाहौल घाटी के विभिन्न आपदा प्रभावित इलाकों का दौरा किया।
जयराम ठाकुर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि लाहौल–स्पीति जिले में सामान्यतः बहुत कम बारिश होती है, लेकिन इस बार असामान्य वर्षा ने तबाही मचाई है। उन्होंने कई गांवों में किसानों से बातचीत की। इस दौरान देखा गया कि खेतों में गोभी की फसल 90 प्रतिशत तक खराब हो चुकी है। गोभी की फसल खेतों में सड़ रही है क्योंकि रास्ते बंद होने के कारण किसान बाजार नहीं पहुँच पा रहे हैं। इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। इसके बावजूद राजस्व विभाग ने अब तक नुकसान का सही आकलन नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1500 करोड़ रुपए का राहत पैकेज घोषित किया है। इस पैकेज से लाहौल-स्पीति के प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा मिलना चाहिए, क्योंकि घाटी में नुकसान बहुत व्यापक हुआ है।
एक सवाल के जवाब में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि चन्द्रभागा संगम एक पवित्र स्थल है, लेकिन हर साल बारिश के पानी से इसके तट पर भूस्खलन हो रहा है। इसे बचाना आवश्यक है। साथ ही घाट के निर्माण को लेकर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए ताकि प्राकृतिक और धार्मिक धरोहरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
उन्होंने कहा कि लाहौल में आकर यही कहूँगा कि आपदा से प्रभावित लोगों के लिए राहत देने के लिए कदम उठाए जाएँ। कई स्थान हैं जहाँ राजस्व विभाग आपदा में हुए नुकसान का आकलन करने नहीं पहुँचा है, यह उचित नहीं है।