क्या जालंधर के जीएनडीयू यूनिवर्सिटी ग्राउंड में रावण से पहले जलाए गए मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले?

सारांश
Key Takeaways
- दशहरा का पर्व अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
- जालंधर में नई परंपरा की शुरुआत हुई है।
- नशे के खिलाफ जागरूकता बढ़ी है।
- किसानों की समस्याओं पर ध्यान दिया जा रहा है।
- सामाजिक एकता का संदेश दिया गया।
जालंधर, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पूरे देश में अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन करके लोगों तक एक बार फिर सत्य की विजय का शाश्वत संदेश पहुंचाया गया। पंजाब में भी रावण का दहन किया गया, लेकिन जालंधर में कई अद्भुत दृश्य देखने को मिले। यहाँ रावण से पहले मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए गए।
जालंधर के जीएनडीयू यूनिवर्सिटी ग्राउंड में परंपरा के विपरीत, रावण से पहले मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले का दहन किया गया। वहीं, जालंधर कैंट में रावण दहन से पहले ही रावण का पुतला जमीन पर गिर गया।
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने लोगों को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। चन्नी ने विशेष रूप से नशे के राक्षस रावण के पुतले का दहन किया। उन्होंने कहा कि यह दहन संदेश देता है कि पंजाब से नशे को जड़ से खत्म करना है। पंजाब अमन, शांति और भाईचारा चाहता है।
सिख जत्थों को पाकिस्तान के ननकाना साहिब जाने की अनुमति दिए जाने पर पंजाब के जालंधर कैंट से कांग्रेस विधायक प्रगट सिंह ने केंद्र सरकार का धन्यवाद दिया है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से जत्थे को मंजूरी मिल गई है। केंद्र ने एसजीपीसी को सूचित कर दिया है। आखिरकार केंद्र को संगत की एकजुट आस्था की आवाज सुननी पड़ी।
किसानों पर पराली जलाने को लेकर दर्ज हो रहे मामलों पर प्रगट सिंह ने किसानों से इस बात को समझने की अपील की।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में पहले ही बाढ़ के कारण भारी नुकसान हो चुका है और किसानों को अतिरिक्त समस्याओं से बचना चाहिए। भाजपा सांसद कंगना रनौत को लेकर अदालत को एक्शन लेना चाहिए क्योंकि उन्होंने गलत टिप्पणी की थी। कंगना कई बार गलत बोल चुकी हैं। वह बिना सोचे समझे कुछ भी बोलने लगती हैं। उनको अभी किसानों के बारे में जानकारी नहीं है, पहले वह जानकारी लें, फिर कुछ बोला करें।