क्या जमात-ए-इस्लामी हिंद ने कतर पर इजरायली हमले की निंदा की?

सारांश
Key Takeaways
- जमात-ए-इस्लामी हिंद ने इजरायली हमले की निंदा की है।
- यह हमला कतर की संप्रभुता का उल्लंघन है।
- इजरायल का यह कदम अंतरराष्ट्रीय कानून का मजाक उड़ाना है।
- संगठन ने विश्व शांति के लिए खतरा बताया है।
- अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को कार्रवाई करनी चाहिए।
नई दिल्ली, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जमात-ए-इस्लामी हिंद ने कतर की राजधानी दोहा में एक आवासीय इमारत पर इजरायली हमले के प्रति अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है। संगठन ने कहा कि यह कतर की संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों के सभी सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन है।
जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सदातुल्लाह हुसैनी ने एक बयान में कहा कि यह हमला जानबूझकर उन नेताओं को लक्ष्य बनाकर किया गया, जिनसे वार्ता चल रही थी। यह इजरायल के विश्वासघाती व्यवहार को दर्शाता है, जो एक ओर बातचीत में भाग लेता है और दूसरी ओर हत्या और हिंसा को अंजाम देता है। इस प्रकार का धोखा न केवल शांति प्रयासों को बाधित करता है, बल्कि कूटनीति का भी मजाक उड़ाता है।
बयान में कहा गया है, "इजरायल ने बार-बार अंतरराष्ट्रीय सीमाओं और कानूनी मानदंडों का उल्लंघन किया है। कतर पर यह हमला केवल एक उकसावा नहीं है, बल्कि यह वैश्विक कानून की अवहेलना और फिलिस्तीन की सीमाओं से परे युद्ध फैलाने की उसकी लापरवाह कोशिश का हिस्सा है। ऐसे कृत्य से इजरायल यह सिद्ध करता है कि वह एक दुष्ट राज्य है और विश्व शांति के लिए एक गंभीर खतरा है।"
सैयद सदातुल्लाह हुसैनी ने आगे कहा, "लगभग दो वर्षों से इजरायल ने गाजा, लेबनान, सीरिया, यमन और पश्चिमी तट पर अभियान चलाया है, निर्दोषों का कत्लेआम किया है और मध्य पूर्व को अस्थिर किया है। अब, कतर, जो एक तटस्थ मध्यस्थ है, को भी अपनी हिंसा के क्षेत्र में घसीटकर इजरायल ने दिखा दिया है कि कोई भी राज्य उसके आक्रमण से सुरक्षित नहीं है। यह इसीलिए ऐसा करता है क्योंकि उसे अमेरिका का पूरा समर्थन प्राप्त है, जिसकी मिलीभगत उसे इन अपराधों के लिए समान रूप से जिम्मेदार बनाती है।"
जमात-ए-इस्लामी हिंद ने यह भी कहा है कि वह कतर के लोगों और उसके नेतृत्व के साथ पूरी एकजुटता से खड़ा है। बयान में कहा गया, "दुनिया को इस सच्चाई का सामना करना होगा कि इजरायल मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाला और संप्रभुता का लगातार उल्लंघन करने वाला है। यह शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए और इजरायल के अपराधों की सजा देनी चाहिए।"
जमात-ए-इस्लामी हिंद ने यह भी मांग की है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विश्वासघात और आक्रामकता का यह चक्र समाप्त हो।