क्या भाजपा का उपराष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग का दावा कांग्रेस के लिए चिंता का विषय है?

सारांश
Key Takeaways
- भाजपा ने उपराष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग का दावा किया है।
- सुखदेव भगत ने इसे गर्व का विषय नहीं बताया।
- नेपाल में हिंसा की निंदा की गई है।
- कांग्रेस ने चुनावी आंकड़ों को सकारात्मक माना है।
- राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप सामान्य हैं।
नई दिल्ली, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन की सफलता के बाद भाजपा ने क्रॉस वोटिंग का आरोप लगाया है। भाजपा का कहना है कि इस चुनाव में विपक्ष के 15 सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की है। इस पर कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह गर्व या अहंकार नहीं, बल्कि चिंतन और विचार का विषय है।
सुखदेव भगत ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "मुझे लगता है कि 'क्रॉस वोटिंग' शब्द का इस्तेमाल करना गलत है। यह गर्व या अहंकार का विषय नहीं, बल्कि यह चिंतन का विषय है। जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद नए उपराष्ट्रपति के चुनाव में हमें इस पद की गरिमा को बनाए रखना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह कार्यालय पक्षपात से मुक्त हो। मैं एनडीए के उम्मीदवार को जीत की बधाई देता हूं और यह कहना चाहता हूं कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों का संबंध हमारे राज्य झारखंड से है। मैं उनसे यही कामना करता हूं कि वे अपनी गरिमा को बनाए रखें।"
उन्होंने आगे कहा, "मेरे विचार में, आशाएं बहुत बड़ी होती हैं। भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2024 में 400 से अधिक सीटें जीतने का दावा किया था, लेकिन वे केवल 240 सीटें ही जीत पाईं। क्रॉस वोटिंग का मामला सामने आया है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह चिंता का विषय है। हमारे पास करीब 300 सांसद हैं और यदि हम प्रतिशत के दृष्टिकोण से देखें, तो पिछली बार हमें 22 प्रतिशत वोट मिले थे, जो इस बार बढ़कर 40 प्रतिशत हो गए हैं। राहुल गांधी ने संविधान की रक्षा के लिए एक अभियान शुरू किया है, और हमारा संघर्ष आगे भी जारी रहेगा। जो लोग हम पर हंस रहे हैं, मैं उनसे यही कहना चाहूंगा कि हमारा वोट प्रतिशत बढ़ा है, जिससे हमारे संघर्ष को और भी बल मिलेगा।"
नेपाल में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन पर सुखदेव भगत ने कहा, "किसी भी समाज में हिंसा का कोई औचित्य नहीं है। गांधी की भूमि भारत शांति का पक्षधर है। आज भी हिंसा स्वीकार्य नहीं है। चाहे वह बांग्लादेश, श्रीलंका हो या नेपाल, भारत की जिम्मेदारी है कि वह स्थिरता लाने में अपनी भूमिका निभाए। नेपाल में भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और शांति बहाल करना इस दायित्व का हिस्सा है।"
उन्होंने कहा, "यदि हम भारत के पड़ोसी देशों को देखें, तो बांग्लादेश में अशांति, नेपाल में उथल-पुथल, पाकिस्तान में लंबे समय से अस्थिरता और श्रीलंका में भी समस्याएं हैं। यह स्वाभाविक है कि इससे चिंता होती है। यही कारण है कि मैंने कहा कि यह एक संकेत है और हमें इसे समझना होगा।"