क्या नेपाल में हिंसक विरोध प्रदर्शन पर गुरुदेव श्री श्री रविशंकर का दुख जताना सही है?

सारांश
Key Takeaways
- शांति बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
- संवाद का मार्ग अपनाना चाहिए।
- हिंसा का बढ़ना गंभीर चिंता का विषय है।
- भारत को सुरक्षा अलर्ट जारी करना पड़ा।
- आवश्यक है कि सामाजिक एकता को बनाए रखा जाए।
नई दिल्ली, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने नेपाल में हाल ही में हुई हिंसक विरोध प्रदर्शनों को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। उन्होंने नेपाल के निवासियों से शांतिबातचीत का मार्ग अपनाने की अपील की है।
श्री श्री रविशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर अपने संदेश में लिखा, "नेपाल में हुई जान-माल की हानि और सार्वजनिक संपत्ति की क्षति अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं नेपाल की जनता से अपील करता हूं कि वे शांत रहें और साझा आधार खोजने के लिए शांतिपूर्ण बातचीत का रास्ता अपनाएं।"
आधिकारिक स्रोतों के अनुसार, नेपाल में विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसक झड़पों में अब तक कम से कम 22 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 500 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। नेपाल में 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ शुरू हुआ यह विरोध प्रदर्शन तेजी से बढ़ गया और हिंसा का रूप ले लिया। इस अशांति में कई प्रमुख राजनीतिक नेताओं पर भीड़ ने हमला किया और नेताओं के आवासों में आग लगा दी गई।
नेपाल में विरोध प्रदर्शन के चलते केपी शर्मा ओली को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा है। इसके पहले ही गृह मंत्री और कृषि मंत्री ने इस्तीफा सौंपा था।
नेपाल में बिगड़ती स्थिति के मद्देनजर, भारत की एजेंसियां भी सतर्क हो गई हैं। भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा अलर्ट जारी किया गया है। इसमें चेतावनी दी गई है कि उपद्रवी इस अशांति का फायदा उठाकर पड़ोसी भारतीय राज्यों में हिंसा भड़का सकते हैं। अधिकारियों के अनुसार, खुफिया जानकारी में चेतावनी दी गई है कि नेपाल में अशांति की आड़ में असामाजिक तत्व सीमावर्ती क्षेत्रों में हिंसा भड़काने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं।
इसके बाद, केंद्रीय एजेंसियों ने उत्तराखंड पुलिस, उत्तर प्रदेश पुलिस, बिहार पुलिस और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) सहित भारत-नेपाल सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों को सतर्क कर दिया है। सीमावर्ती क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था के किसी भी संभावित उल्लंघन को रोकने के लिए उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। सुरक्षाबलों को पूरी तरह सतर्क रहने और निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।