क्या विदेश यात्रा के बाद राहुल गांधी की निराशा कम हो जाएगी? – शायना एनसी
सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी की विदेश यात्रा पर शायना एनसी की टिप्पणी महत्वपूर्ण है।
- उन्हें उम्मीद है कि राहुल गांधी सदन में गंभीर मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
- राहुल गांधी की निराशा कम होना चाहिए।
- संसद में वंदे मातरम पर चर्चा में उपस्थित रहना चाहिए था।
- शिवसेना और राहुल गांधी के बीच राजनीतिक मतभेद हैं।
मुंबई, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के जर्मनी यात्रा पर शिवसेना नेता शायना एनसी ने कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि विदेश यात्रा के दौरान उनकी निराशा कम होगी।
शायना एनसी ने कहा कि हमें यह आशा है कि विदेशी दौरे से लौटने के बाद राहुल गांधी सदन में केवल ‘वोट चोरी’ के मुद्दे पर चर्चा नहीं करेंगे, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, विकास और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी गंभीर चर्चा करेंगे।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में कहा कि राहुल गांधी काफी निराशा में हैं, इसलिए वे कई बार सदन में ऐसे शब्दों का उपयोग करते हैं जो सामने वाले सदस्य का अपमान करते हैं। यह दुखद है कि वे ऐसा कई बार कर चुके हैं।
शायना एनसी का यह बयान उस समय आया है जब राहुल गांधी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को लेकर टिप्पणी की थी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में एनडीए सरकार जिस प्रकार से देश का संचालन कर रही है, उस पर राहुल गांधी को आपत्ति है। हमारे नेता एकनाथ शिंदे भी नेता प्रतिपक्ष के इस व्यवहार से सहमत नहीं हैं। राहुल गांधी को चाहिए कि वे संसद में रचनात्मक बहस करें।
शायना एनसी ने कहा कि विदेश यात्रा के बाद शायद उनकी निराशा कम हो और वे नए विचार लेकर आएं। अब तक जो दिख रहा है, वे बार-बार निराशा ही दिखा रहे हैं। राहुल गांधी विदेश में जाकर भारत को बदनाम करने वाले बयान देते हैं, लेकिन अपने वोटरों और अपने देश की संसद के प्रति जिम्मेदारी नहीं निभाते। उन्हें सदन के अंदर ही अपने विचार रखने चाहिए।
शायना एनसी ने कहा कि संसद में वंदे मातरम पर 10 घंटे की चर्चा हुई, तो नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल गांधी को उपस्थित रहना चाहिए था, लेकिन देश ने देखा कि महत्वपूर्ण मुद्दे पर चल रही चर्चा में वे शामिल नहीं हुए।
शायना एनसी ने शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे पर भी निशाना साधते हुए कहा कि हिंदू विचारधारा की बात करने वाली उनकी पार्टी के सांसद उस समय कहाँ थे, जब संसद में वंदे मातरम पर 10 घंटे की चर्चा चल रही थी।