क्या गांधी मैदान से भाग खड़े हुए राहुल-तेजस्वी को जनता का समर्थन नहीं मिला?

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क्या गांधी मैदान से भाग खड़े हुए राहुल-तेजस्वी को जनता का समर्थन नहीं मिला?

सारांश

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की वोटर अधिकार यात्रा ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। क्या सच में जनता का समर्थन नहीं मिला? जानिए इस यात्रा का सच और नितिन नबीन के तंज का क्या है अर्थ।

Key Takeaways

  • राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की वोटर अधिकार यात्रा संपन्न हुई।
  • यात्रा के दौरान सासाराम से पटना तक 1,300 किलोमीटर की दूरी तय की गई।
  • नितिन नबीन ने आरोप लगाया कि जनता का समर्थन नहीं मिला।
  • महागठबंधन का दावा है कि बिहार में बदलाव तय है।
  • यात्रा में कई प्रमुख राजनीतिक नेता शामिल हुए।

पटना, 1 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव की वोटर अधिकार यात्रा सोमवार को समाप्त हुई। विपक्ष का दावा है कि यह यात्रा सफल रही और बिहार की जनता का भरपूर समर्थन मिला। इस पर बिहार सरकार में मंत्री नितिन नबीन ने तंज कसते हुए कहा कि अगर विपक्ष को जनसमर्थन मिला, तो गांधी मैदान में यात्रा के समापन पर जो रैली होने वाली थी, उसे स्थगित क्यों किया गया? उन्होंने आरोप लगाया कि जनता का समर्थन नहीं मिला, इसलिए राहुल गांधी और तेजस्वी यादव गांधी मैदान से भाग खड़े हुए।

राष्ट्र प्रेस से बातचीत में नितिन नबीन ने बताया कि रैली करने के लिए इजाजत मांगी गई थी, जिसे स्वीकार किया गया, लेकिन जब विपक्षी दलों को पटना के गांधी मैदान में जनता का समर्थन नहीं मिला, तो ये लोग जुलूस निकालने के लिए सड़कों पर आ गए।

गौरतलब है कि वोटर अधिकार यात्रा बिहार के सासाराम से शुरू हुई थी, जिसमें 14 दिनों में 20 से ज्यादा जिलों और 110 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करते हुए 1,300 किलोमीटर की दूरी तय की गई। यह यात्रा 1 सितंबर को पटना के गांधी मैदान से शुरू होकर डॉ. बी.आर. अंबेडकर की मूर्ति तक एक प्रतीकात्मक 'गांधी से अंबेडकर' जुलूस के साथ समाप्त हुई।

इस जुलूस में राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, मल्लिकार्जुन खड़गे, हेमंत सोरेन, और अन्य इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने हिस्सा लिया।

वोटर अधिकार यात्रा में इससे पहले तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया। यात्रा के समापन से पहले समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव भी शामिल हुए। नितिन नबीन और भाजपा नेताओं ने इस यात्रा को नाटक और भ्रम फैलाने वाली यात्रा बताया।

वहीं, इंडिया ब्लॉक ने इस यात्रा को जन आंदोलन बताया है। इंडिया ब्लॉक में शामिल राजनीतिक दलों के नेताओं ने पटना के मैदान से इस बात को दोहराया है कि राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा में जिस प्रकार से बिहार की जनता ने प्यार दिया है, इसका असर आगामी विधानसभा चुनाव में दिखाई देगा। ब्लॉक के नेताओं के अनुसार, बिहार की जनता ने मन बना लिया है और बिहार में बदलाव तय है। महागठबंधन की सरकार बनाने का दावा भी जोर पकड़ रहा है।

Point of View

यह कहना उचित है कि राजनीतिक यात्राएं अक्सर प्रचार का साधन होती हैं। विपक्ष का दावा है कि उन्हें जनता का समर्थन मिला है, जबकि सत्ता पक्ष का कहना है कि यह मात्र एक नाटक है। यह आवश्यक है कि हम तथ्यों को समझें और जनहित में सही निर्णय लें।
NationPress
01/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या वोटर अधिकार यात्रा सफल रही?
विपक्ष का कहना है कि यात्रा सफल रही, लेकिन मंत्री नितिन नबीन ने इसे चुनौती दी है।
यात्रा का उद्देश्य क्या था?
यात्रा का उद्देश्य वोटरों के अधिकारों को जागरूक करना था।
नितिन नबीन ने क्या कहा?
उन्होंने कहा कि अगर जनता का समर्थन था, तो रैली क्यों स्थगित की गई?
इस यात्रा में कौन-कौन शामिल थे?
राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य प्रमुख नेता शामिल थे।
महागठबंधन का क्या दावा है?
महागठबंधन का दावा है कि बिहार में बदलाव निश्चित है।