क्या ओडिशा के उडाला में सामूहिक बलात्कार का आरोप झूठा है? जेल से रची गई साजिश का पुलिस ने किया खुलासा

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क्या ओडिशा के उडाला में सामूहिक बलात्कार का आरोप झूठा है? जेल से रची गई साजिश का पुलिस ने किया खुलासा

सारांश

क्या यह सच है कि ओडिशा के उडाला में सामूहिक बलात्कार का आरोप एक साजिश का नतीजा है? जानिए इस मामले में पुलिस की जांच के निष्कर्ष और कैसे एक युवती और उसकी मां ने इस झूठी कहानी को फैलाने की कोशिश की।

Key Takeaways

  • झूठी शिकायतें समाज में गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती हैं।
  • युवती और उसकी मां द्वारा रची गई साजिश का पर्दाफाश हुआ।
  • पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की और आरोपियों को हिरासत में लिया।
  • ऐसे मामलों में कानून का दुरुपयोग एक गंभीर विषय है।
  • सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पर चिंता जताई है।

मयूरभंज, १ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा के मयूरभंज जिले के उडाला में एक कथित सामूहिक बलात्कार की घटना को पुलिस ने एक सुनियोजित साजिश बताया है, जिसे बारीपदा जेल के दो कैदियों ने रचा था।

मयूरभंज पुलिस ने इस मामले का पर्दाफाश करते हुए बताया कि कपटीपाड़ा के नाना साय और सारत के श्याम सुंदर राणा ने जेल से ही इस झूठी कहानी को अंजाम देने की योजना बनाई। इसका मकसद उन लोगों को फंसाना था, जिन्होंने पहले उनके खिलाफ शिकायत दर्ज की थी।

पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि शिकायतकर्ता, एक युवती, और उसकी मां ने इस साजिश में अहम भूमिका निभाई। युवती की मां, जो कथित तौर पर आरोपी श्याम सुंदर राणा की बहन है, ने लंबे समय तक शिकायतकर्ताओं के बारे में जानकारी जुटाई। दोनों ने मिलकर बांगिरिपोसी पुलिस स्टेशन में सामूहिक बलात्कार की झूठी शिकायत दर्ज की, जिसमें दावा किया गया कि पांच युवकों ने उडाला में एक ओमनी वैन में युवती का अपहरण कर उसका यौन उत्पीड़न किया।

पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दो संदिग्धों को हिरासत में लिया, लेकिन कहानी में विसंगतियों और गहन जांच के बाद यह साजिश उजागर हो गई। मयूरभंज के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार गोछायात ने राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए पुष्टि की कि यह पूरी घटना व्यक्तिगत बदले की भावना से प्रेरित थी, जिसका उद्देश्य निर्दोष लोगों को झूठे आरोप में फंसा कर जेल भेजना था।

उन्होंने कहा, "झूठी शिकायत दर्ज कर कानून का दुरुपयोग करने के लिए युवती और उसकी मां के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।"

इस मामले में पुलिस के खुलासे के बाद लोगों में नाराजगी है और वे आरोपियों पर जरूरी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कानूनी प्रावधानों के दुरुपयोग पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि ऐसी हरकतें यौन हिंसा के वास्तविक मामलों की गंभीरता को कमजोर करती हैं और समाज में गलत संदेश देती हैं।

Point of View

वे यह दर्शाते हैं कि समाज में कुछ लोग व्यक्तिगत प्रतिशोध की भावना से निर्दोष लोगों को फंसाने की कोशिश कर सकते हैं। यह न केवल जस्टिस सिस्टम की विश्वसनीयता को कमजोर करता है, बल्कि यौन हिंसा के वास्तविक मामलों की गंभीरता को भी कम करता है। हमें इस दिशा में और सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
NationPress
01/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या ओडिशा में सामूहिक बलात्कार का आरोप सच था?
पुलिस ने इसे एक सुनियोजित साजिश बताया है, जो बारीपदा जेल के दो कैदियों द्वारा रची गई थी।
इस मामले में पुलिस ने क्या कार्रवाई की?
पुलिस ने दो संदिग्धों को हिरासत में लिया और झूठी शिकायत दर्ज करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी।
सामाजिक कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया क्या है?
सामाजिक कार्यकर्ता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि ऐसे मामले यौन हिंसा के वास्तविक मामलों की गंभीरता को कमजोर करते हैं।