क्या जीतनराम मांझी ने कविता के माध्यम से मांगी '15 सीटें' बिहार विधानसभा चुनाव में?

सारांश
Key Takeaways
- सीट बंटवारा जटिल है और अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है।
- जीतनराम मांझी ने कविता के माध्यम से अपनी पार्टी के लिए 15 सीटें मांगी हैं।
- चुनाव की तारीखें छठ पूजा के बाद निर्धारित की गई हैं।
- राजनीतिक दलों के बीच गठबंधन की चर्चा चल रही है।
- सभी दलों को पारदर्शिता से काम करना होगा।
पटना, 8 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद भी दोनों राजनीतिक गठबंधनों में सीटों के बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है। जबकि दोनों पक्षों की ओर से सबकुछ ठीक होने का दावा किया जा रहा है, लेकिन सीटों की घोषणा अभी तक नहीं हो पाई है। इस बीच, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने सोशल नेटवर्किंग साइट एक्स पर एक कविता साझा की है।
ऐसा माना जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने इस कविता के जरिए अपनी पार्टी के लिए 15 सीटों की मांग की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "हो न्याय अगर तो आधा दो, यदि उसमें भी कोई बाधा हो, तो दे दो केवल 15 ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम, 'हम' वही खुशी से खाएंगे, परिजन पे असी ना उठाएंगे।"
वास्तव में, जीतनराम मांझी इससे पहले भी सम्मानजनक सीटों की मांग करते रहे हैं। कविता के माध्यम से उन्होंने सीटों की संख्या की ओर इशारा किया है।
इससे पहले के बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, विनोद तावड़े और बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी से मुलाकात की थी और कहा जाता है कि उस समय सीट बंटवारे को लेकर सभी नेताओं में चर्चा हुई थी।
इससे पूर्व एनडीए में शामिल लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने भी इशारों ही इशारों में अपने पिता रामविलास पासवान के कथनों को उद्धृत करते हुए एक्स पर पोस्ट पर लिखा, "पापा हमेशा कहा करते थे - 'जुर्म करो मत, जुर्म सहो मत। जीना है तो मरना सीखो, कदम-कदम पर लड़ना सीखो।'"
जानकारी के अनुसार, चुनाव आयोग ने छठ पूजा के बाद चुनाव की तारीखें तय की हैं। पहले चरण में बिहार में छह नवंबर को वोट डाले जाएंगे, जबकि दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा और मतों की गिनती 14 नवंबर को होगी।
इससे पहले चुनाव आयोग की टीम के साथ बैठक में जदयू और राजद समेत कई राजनीतिक दलों ने चुनाव की तारीखें छठ पूजा के बाद रखने का आग्रह किया था।