क्या झारखंड में बिजली की दरें 60 फीसदी बढ़ने जा रही हैं?
सारांश
Key Takeaways
- बिजली की दरों में औसतन 60% वृद्धि का प्रस्ताव।
- ग्रामीण और शहरी उपभोक्ताओं के लिए नई दरें लागू होंगी।
- भाजपा और अन्य संगठनों का कड़ा विरोध।
रांची, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड में आने वाले वित्तीय वर्ष 2026-27 के लिए बिजली की दरों में औसतन 60 प्रतिशत तक वृद्धि के प्रस्ताव पर विरोध के स्वर तेज हो चुके हैं। झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) ने झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग (जेएसईआरसी) के समक्ष अपनी टैरिफ याचिका में घरेलू, वाणिज्यिक, औद्योगिक और कृषि श्रेणियों में व्यापक बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा है। भाजपा ने इसका विरोध किया है।
आयोग ने याचिका को स्वीकार कर लिया है और नई दरों के लिए जनसुनवाई की प्रक्रिया शीघ्र ही शुरू की जा सकती है। याचिका के अनुसार, घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दर मौजूदा दर से बढ़ाकर 10.30 रुपए प्रति यूनिट करने का प्रस्ताव है। यदि यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो ग्रामीण उपभोक्ताओं को 6.70 रुपए के बदले 10.20 रुपए प्रति यूनिट और शहरी उपभोक्ताओं को 6.85 रुपए के बदले 10.30 रुपए प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना पड़ सकता है।
वाणिज्यिक कनेक्शनों पर भी भारी वृद्धि का प्रस्ताव है, और औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए दर को 9.10 रुपए प्रति यूनिट तक ले जाने की सिफारिश की गई है। कृषि सिंचाई के लिए दर 5.30 रुपए से बढ़ाकर 9 से 10 रुपए प्रति यूनिट के बीच करने का प्रस्ताव किया गया है, जिससे खेती की लागत में बड़ी बढ़ोतरी होने की संभावना है। इस प्रस्तावित वृद्धि पर भाजपा और झारखंड फेडरेशन ऑफ चैंबर एंड इंडस्ट्रीज सहित कई संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने इसे जनता पर आर्थिक अत्याचार का प्रस्ताव करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि हेमंत सरकार आम जनता, किसानों, छोटे दुकानदारों और उद्योग धंधों पर अतिरिक्त बोझ डालने पर आमादा है। प्रतुल ने कहा कि चुनावों में मुफ्त और सस्ती बिजली का वादा करने वाली सरकार अब जनता की जेब खाली करने में लगी है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं से लेकर शहरी उपभोक्ताओं तक लगभग 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव है, वहीं किसानों पर 60 प्रतिशत तक का बोझ डालने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि खेती पहले ही महंगी हो चुकी है और सिंचाई की दरों में इतनी भारी वृद्धि कृषि की रीढ़ तोड़ने वाली है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जनभावनाओं से कट चुकी है और यह वृद्धि आम लोगों को गहरे संकट में धकेल देगी। झारखंड फेडरेशन ऑफ चैंबर एंड इंडस्ट्रीज ने भी इस प्रस्ताव को जनविरोधी और अव्यावहारिक बताते हुए कहा कि जनसुनवाई के दौरान इसका जोरदार विरोध किया जाएगा।