क्या झारखंड हाई कोर्ट ने जलस्रोतों को अतिक्रमण मुक्त करने का निर्देश दिया?
 
                                सारांश
Key Takeaways
- जल स्रोतों का संरक्षण
- राज्य सरकार की जिम्मेदारी
- सख्त उपायों की आवश्यकता
- नदियों का अतिक्रमण हटाना
- जल संकट की संभावना
रांची, ३१ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य के जल स्रोतों एवं नदियों को अतिक्रमण मुक्त करने और उनके संरक्षण के लिए राज्य सरकार और नगर निगम को सख्त निर्देश दिए हैं। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस अतुल श्रीवास्तव की खंडपीठ ने गुरुवार को तीन जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सरकार को कहा कि वह जलस्रोतों और नदियों को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए ठोस कदम उठाए।
अदालत ने कहा कि जल स्रोतों का संरक्षण राज्य के लिए अत्यंत आवश्यक है और इसके कैचमेंट एरिया को ‘नो एंट्री जोन’ घोषित कर उसे कंटीली तारों से सुरक्षित किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में किसी प्रकार का अतिक्रमण न हो सके। अदालत ने जलस्रोतों के कैचमेंट एरिया को नो एंट्री जोन बनाने का भी निर्देश दिया।
कोर्ट ने पूर्व में दिए गए आदेशों के आलोक में अब तक की गई कार्रवाई की जानकारी शपथ-पत्र के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए कहा। सुनवाई के दौरान राज्य के नगर विकास सचिव, जल संसाधन सचिव, रांची के उपायुक्त और रांची नगर निगम के प्रशासक अदालत में उपस्थित हुए। सरकार का पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने उन्हें अगली सुनवाई में उपस्थित होने से छूट दे दी।
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि सैटेलाइट मैपिंग के माध्यम से राज्य के जल स्रोतों की निगरानी की जा रही है और समय-समय पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई है। वहीं, इस मामले में इंटरवेनर खुशबू कटारुका ने कहा कि अदालत के निर्देश के बावजूद रांची के बड़ा तालाब की सफाई ठीक से नहीं हो रही है।
एमिकस क्यूरी की ओर से अदालत को बताया गया कि कांके डैम, धुर्वा डैम और गेतलसूद डैम में अतिक्रमण की स्थिति बनी हुई है और राज्य सरकार पूर्व आदेशों का अनुपालन नहीं कर रही है। हाई कोर्ट ने जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पहले ही राज्य के सभी जिलों में जल स्रोतों को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए प्रभावी उपाय करने के निर्देश दिए थे।
कोर्ट ने जल स्रोतों के संरक्षण के लिए टास्क फोर्स गठित कर उसकी स्टेटस रिपोर्ट अदालत में दाखिल करने का भी निर्देश दिया था। इस मामले की अगली सुनवाई २२ अगस्त को होगी।
 
                     
                                             
                                             
                                             
                                            