क्या टेंडर-कमीशन घोटाले में 14 माह से जेल में बंद झारखंड के पूर्व मंत्री आलमगीर को हाई कोर्ट से झटका मिला?

सारांश
Key Takeaways
- आलमगीर आलम 14 महीने से जेल में हैं।
- हाई कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज की।
- ईडी ने घोटाले में शामिल कई लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की।
- भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में यह मामला महत्वपूर्ण है।
- आलमगीर आलम ने जेल जाने के बाद अपने पदों से इस्तीफा दिया।
रांची, 11 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग से संबंधित टेंडर-कमीशन घोटाले में आरोपी और पूर्व मंत्री आलमगीर आलम को हाई कोर्ट से एक बड़ा झटका मिला है। अदालत ने 14 महीनों से न्यायिक हिरासत में बंद इस पूर्व मंत्री की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।
याचिका पर सुनवाई के दौरान सभी पक्षों की सुनवाई 20 जून को समाप्त होने के बाद, जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने मामले को सुरक्षित रखा था। सुनवाई के वक्त प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से अधिवक्ता जोएब हुसैन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा, जबकि आलमगीर आलम की ओर से अधिवक्ता एस. नागामुथु ने दलीलें दीं।
रांची स्थित पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग कोर्ट) से जमानत याचिका खारिज होने के बाद आलमगीर आलम ने हाई कोर्ट में अपील की थी, लेकिन यहां भी उन्हें निराशा का सामना करना पड़ा। ईडी ने उन्हें 15 मई 2024 को गिरफ्तार किया था। इससे पहले, उनके ओएसडी संजीव लाल और कई ठेकेदारों के ठिकानों पर ईडी ने 6 मई 2024 को छापेमारी की थी।
इस छापेमारी के दौरान संजीव लाल के सहायक जहांगीर आलम के पास से 30 करोड़ रुपए, ठेकेदार मुन्ना सिंह के ठिकाने से 2.93 करोड़ रुपए और राजीव सिंह के ठिकाने से 2.14 करोड़ रुपए बरामद किए गए थे। जांच में यह खुलासा हुआ कि ग्रामीण विकास विभाग में टेंडरों का बंटवारा बड़े पैमाने पर कमीशन के खेल से हो रहा था, जिसमें बड़ी राशि मंत्री आलमगीर आलम के पास पहुंचती थी। आलमगीर आलम झारखंड विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता भी थे। जेल जाने के कुछ समय बाद, उन्होंने इन दोनों पदों से इस्तीफा दे दिया था।