क्या झारखंड में एसआईआर की तैयारी पूरी हो रही है?
सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर का महत्व और प्रक्रिया
- 2003 की सूची के साथ मैपिंग की आवश्यकता
- राजनीतिक दलों के साथ समन्वय का महत्व
- पैतृक मैपिंग हेल्पडेस्क की स्थापना
- दस्तावेजों की सुरक्षा और संरक्षण
रांची, 24 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की तैयारियों के संदर्भ में राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) के. रवि कुमार ने शुक्रवार को सभी जिलों के जिला निर्वाचन पदाधिकारियों के साथ एक ऑनलाइन समीक्षा बैठक आयोजित की।
उन्होंने कहा कि एसआईआर से पूर्व वर्तमान मतदाता सूची का 2003 की सूची के साथ सही तरीके से मैप करना आवश्यक है। सीईओ ने स्पष्ट किया कि इस मैपिंग प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की त्रुटि को सहन नहीं किया जाएगा। इसके लिए बीएलओ ऐप और भौतिक दस्तावेज दोनों का सही तरीके से उपयोग किया जाएगा।
उन्होंने जानकारी दी कि जिन मतदाताओं का नाम 2003 की सूची में अन्य राज्य में है, वे संबंधित राज्य की आधिकारिक वेबसाइट से अपना विवरण डाउनलोड कर सकते हैं। जबकि, जिनका नाम 2003 की सूची में नहीं है लेकिन माता-पिता का नाम है, उनके विवरण को बीएलओ द्वारा निकालकर वर्तमान सूची में जोड़ा जाएगा।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने एसआईआर के दौरान राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ नियमित बैठक और समन्वय पर भी जोर दिया। उन्होंने सभी जिलों में पैतृक मैपिंग हेल्पडेस्क की स्थापना करने की बात कही ताकि मतदाता आसानी से अपने विवरण की जांच और सुधार कर सकें। हेल्पडेस्क के लिए मैनेजर, कंप्यूटर ऑपरेटर और अधिकारी पूर्ण रूप से तैयार रहें।
उन्होंने कहा, “एसआईआर से पहले सूची की सटीक और त्रुटिरहित मैपिंग यह सुनिश्चित करेगी कि हर मतदाता अपने अधिकार का सही उपयोग कर सके।”
सीईओ ने एसआईआर प्रक्रिया के दौरान सभी दस्तावेजों को स्थायी रिकॉर्ड के रूप में सुरक्षित रखने और 2003 की सूची समेत अन्य दस्तावेजों को डिजिटल और नॉन-डिजिटल प्रारूप में संरक्षित करने का निर्देश दिया। बैठक में सभी जिलों के जिला निर्वाचन पदाधिकारी, संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सुबोध कुमार और देव दास दत्ता, उप निर्वाचन पदाधिकारी धीरज ठाकुर सहित सीईओ कार्यालय के अधिकारी शामिल थे।