क्या झारखंड में स्वास्थ्य सेवा की स्थिति सुधारने में हेमंत सरकार नाकाम रही है?

सारांश
Key Takeaways
- स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति में सुधार की आवश्यकता है।
- आदिवासी समुदाय की समस्याओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
- सरकार को संवेदनशीलता दिखाने की आवश्यकता है।
- भ्रष्टाचार और अनदेखी के चलते हजारों लोग प्रभावित हो रहे हैं।
- राजनीति से ऊपर उठकर जनता की भलाई को प्राथमिकता देना जरूरी है।
रांची, १६ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने एक बार फिर राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर स्थिति पर सवाल उठाए हैं।
पाकुड़ जिला अंतर्गत अमड़ापाड़ा प्रखंड के बड़ा बास्को पहाड़ क्षेत्र की एक तस्वीर साझा करते हुए मरांडी ने कहा कि आज भी लोग सड़क और एंबुलेंस की कमी के कारण मरीजों को खाट पर लादकर अस्पताल पहुंचाने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि यह तस्वीर झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था का खुला सच है और सरकार की संवेदनहीनता को दर्शाती है।
मरांडी ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, ‘झारखंड को अलग राज्य बनाने का लक्ष्य था ताकि यहां आदिवासी समुदाय के अधिकारों का संरक्षण हो और उनका समग्र विकास हो। झारखंड के आदिवासी समुदाय ने उम्मीद की थी कि शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि जैसी मूलभूत आवश्यकताओं पर आधारित योजनाओं से उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आएगा। लेकिन आज भ्रष्टाचार, घोटाले, और प्रशासनिक अनदेखी के कारण आदिवासी समुदाय की उम्मीदें टूट गई हैं।’
उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार के नेतृत्व में देश ने इतनी प्रगति की है कि एक संथाल आदिवासी महिला आज देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन है। लेकिन झारखंड में हेमंत सरकार की अनदेखी ने राज्य की स्थापना के उद्देश्यों पर सवाल उठाए हैं। मरांडी ने कहा कि खाट पर मरीज को लाने की तस्वीर किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को झकझोर देने वाली है।
उन्होंने सरकार और प्रशासन से अपील की कि राजनीति और सत्ता की महत्वाकांक्षा से ऊपर उठकर लोगों की असल समस्याओं और मानवीय संवेदनाओं को समझें। उन्होंने कहा कि झारखंड की जनता बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और मूलभूत अधिकारों की हकदार है, जिसे प्रदान करना सरकार की जिम्मेदारी है। नेता प्रतिपक्ष ने सरकार से मांग की कि दुर्गम क्षेत्रों में सड़क और स्वास्थ्य सेवाओं की तत्काल व्यवस्था की जाए ताकि आदिवासी समुदाय को और अधिक पीड़ा न झेलनी पड़े।
उन्होंने कहा कि यह समय संवेदनशीलता दिखाने का है, ताकि झारखंड की जनता के सपनों और उनके अधिकारों की रक्षा हो सके।
--आईएएनस
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