क्या झारखंड में पुलिस लाठीचार्ज के खिलाफ चाईबासा-सरायकेला में बंद का असर हुआ?

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क्या झारखंड में पुलिस लाठीचार्ज के खिलाफ चाईबासा-सरायकेला में बंद का असर हुआ?

सारांश

चाईबासा में पुलिस द्वारा लाठीचार्ज के विरोध में भाजपा और आदिवासी संगठनों ने बंद का आह्वान किया। यह बंद जिले के बाजारों और सड़कों पर व्यापक प्रभाव डालेगा। जानें इस घटना के पीछे का कारण और प्रतिक्रिया।

Key Takeaways

  • चाईबासा में पुलिस लाठीचार्ज के खिलाफ प्रदर्शन
  • भाजपा और आदिवासी संगठनों का बंद आह्वान
  • बंद का व्यापक असर, बाजार और सड़कों पर यातायात ठप
  • राज्य सरकार पर दमन का आरोप
  • सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए

चाईबासा, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में भारी वाहनों के लिए ‘नो एंट्री’ का समय निर्धारित करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज की घटना के विरोध में बुधवार को भाजपा और आदिवासी सामाजिक संगठनों ने चाईबासा-सरायकेला जिला बंद का आह्वान किया। इस बंद का व्यापक असर देखा गया।

चाईबासा जिला मुख्यालय, चक्रधरपुर अनुमंडल मुख्यालय, सोनुआ, जगन्नाथपुर, मनोहरपुर और आनंदपुर सहित कई क्षेत्रों में सड़कों पर यातायात लगभग ठप रहा। दोनों जिलों में कई बाजार और दुकानें भी बंद रहीं। सुबह से ही भाजपा कार्यकर्ता और स्थानीय संगठन सड़कों पर उतर आए और दुकानों, प्रतिष्ठानों तथा पेट्रोल पंपों को बंद कराया।

चाईबासा शहर के ताम्बो चौक, सदर बाजार, बस स्टैंड और शहीद पार्क क्षेत्रों में अधिकांश दुकानें पूरी तरह बंद रहीं। बंद समर्थकों ने विभिन्न स्थानों पर टायर जलाकर अपना आक्रोश व्यक्त किया। सोनुआ में एनएच-320 डी (चक्रधरपुर-राउरकेला मार्ग) को जाम कर दिया गया, जिससे भारी वाहनों और बसों का परिचालन ठप हो गया।

टाटा-रांची, किरीबुरू और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए चलने वाली बसें भी बंद रहीं, जिससे आम जनजीवन प्रभावित हुआ। स्कूल-कॉलेजों में छात्रों की उपस्थिति बेहद कम रही, और कई शैक्षणिक संस्थानों ने सुरक्षा कारणों से छुट्टी घोषित कर दी। हालांकि, बंद के दौरान किसी बड़े उपद्रव या हिंसा की सूचना नहीं मिली।

इस बंद का कारण सोमवार रात की घटना है, जब ‘नो एंट्री’ लागू करने की मांग को लेकर मंत्री दीपक बिरुआ के आवास का घेराव करने निकले आदिवासी महिलाओं और पुरुषों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था। इस दौरान पत्थरबाजी और भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हुई थी। पुलिस ने 17 लोगों को हिरासत में लिया था और कुछ युवक लापता बताए गए।

इसी घटना के विरोध में भाजपा और आदिवासी संगठनों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रदर्शन किया और कोल्हान बंद का आह्वान किया। पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, मधु कोड़ा, पूर्व सांसद गीता कोड़ा और पूर्व मंत्री बड़कुंवर गागराई ने मंगलवार को चाईबासा पोस्ट ऑफिस चौक पर मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया।

उन्होंने राज्य सरकार पर आदिवासी युवाओं की आवाज दबाने और पुलिसिया दमन का आरोप लगाया। बंद के मद्देनजर पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए। चाईबासा समेत प्रमुख चौक-चौराहों पर पुलिस बल की तैनाती की गई।

Point of View

जहाँ आदिवासी समुदाय अपनी आवाज उठाने की कोशिश कर रहा है। पुलिसिया दमन की घटनाएँ चिंताजनक हैं और यह दर्शाती हैं कि सरकार को अपने नागरिकों की आवाज सुननी चाहिए।
NationPress
29/10/2025

Frequently Asked Questions

चाईबासा में बंद का कारण क्या था?
चाईबासा में बंद का कारण पुलिस द्वारा लाठीचार्ज की घटना थी, जिसमें आदिवासी समुदाय के लोग 'नो एंट्री' का समय निर्धारित करने की मांग कर रहे थे।
बंद के दौरान जनजीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
बंद के दौरान बाजार और दुकानें बंद रहीं,交通 ठप रहा, और स्कूल-कॉलेजों में उपस्थिति कम रही।
क्या बंद के दौरान कोई हिंसा हुई?
बंद के दौरान किसी बड़े उपद्रव या हिंसा की सूचना नहीं मिली।