क्या झारखंड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में 673 विद्यार्थियों को मिली डिग्री?
सारांश
Key Takeaways
- झारखंड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय का पहला दीक्षांत समारोह आयोजित हुआ।
- 673 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गईं।
- राज्यपाल ने आधुनिक तकनीकी दक्षताओं पर जोर दिया।
- सुरक्षा सेवाओं के लिए युवाओं को तैयार करने की बात कही गई।
- यह विश्वविद्यालय नवाचार और अनुसंधान पर जोर देता है।
रांची, 21 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के राज्यपाल और राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति संतोष कुमार गंगवार ने झारखंड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए सैन्य सेवा और पुलिसिंग में शामिल होने वाले युवाओं को नई चुनौतियों के लिए तैयार करने और आधुनिक तकनीकी दक्षताओं से लैस करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
रांची के मोरहाबादी में आयोजित दीक्षांत समारोह के दौरान, कुल 673 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गईं। राज्यपाल ने इनमें से 21 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल भी प्रदान किए। उन्होंने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय का पहला दीक्षांत समारोह केवल एक शैक्षणिक कार्यक्रम नहीं होता, बल्कि यह संस्था की विचारधारा, उपलब्धियों और समाज के विश्वास का परिचायक होता है।
राज्यपाल ने कहा कि यह समारोह विश्वविद्यालय के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना देश के पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य केवल एक शैक्षणिक संस्थान बनाना नहीं, बल्कि ऐसा केंद्र विकसित करना था जहां युवा अनुशासन, सुरक्षा दृष्टि, वैज्ञानिक सोच और प्रशासनिक दक्षता से लैस हों।
राज्यपाल ने यह भी कहा कि झारखंड के युवा सैन्य और पुलिस सेवाओं के प्रति उत्साहित रहते हैं, लेकिन कई बार उचित मार्गदर्शन के अभाव में अवसरों से वंचित रह जाते हैं। इस विश्वविद्यालय की भूमिका इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए यह आवश्यक है कि युवा पारंपरिक प्रशिक्षण से आगे बढ़कर आधुनिक तकनीक और उभरती चुनौतियों की समझ विकसित करें।
उन्होंने साइबर सुरक्षा, फॉरेंसिक विज्ञान, अपराध मनोविज्ञान, पुलिस प्रबंधन, खुफिया विश्लेषण और आपदा प्रबंधन को समय की प्रमुख आवश्यकता बताया। उन्होंने कहा कि झारखंड की पहचान “जामताड़ा साइबर अपराध” से नहीं, बल्कि “सुरक्षा शिक्षा के मजबूत केंद्र” के रूप में होनी चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि यहां प्रशिक्षित युवा राज्य में बढ़ते साइबर अपराध पर नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय का दायित्व केवल किताबी शिक्षा तक सीमित नहीं है। नवाचार, अनुसंधान और समाधान-उन्मुख शिक्षण समय की मांग है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले वर्षों में झारखंड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय डिजिटल सुरक्षा, साइबर फॉरेंसिक, आंतरिक सुरक्षा और तकनीकी प्रशिक्षण के क्षेत्र में एक मॉडल संस्थान के रूप में स्थापित होगा। इस समारोह को रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और झारखंड के उच्च शिक्षा मंत्री सुदिव्य कुमार ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर कुलपति राहुल पुरवार सहित कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे।