क्या जींद के सरकारी अस्पताल में रेबीज इंजेक्शन की कमी और बंदरों का आतंक है?

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क्या जींद के सरकारी अस्पताल में रेबीज इंजेक्शन की कमी और बंदरों का आतंक है?

सारांश

जींद में बंदरों का आतंक और सरकारी अस्पताल में रेबीज इंजेक्शन की कमी ने मरीजों को कठिनाइयों में डाल दिया है। क्या प्रशासन इस समस्या का समाधान कर पाएगा? पढ़ें पूरी खबर।

Key Takeaways

  • जींद में रेबीज इंजेक्शन की कमी से मरीज परेशान हैं।
  • बंदरों का आतंक बढ़ रहा है और बच्चे असुरक्षित हैं।
  • सरकारी अस्पताल में इंजेक्शन की आपूर्ति में देरी हो रही है।
  • मरीजों को मजबूरन महंगे दामों पर इंजेक्शन खरीदने पड़ रहे हैं।
  • प्रशासन ने समस्या के समाधान के लिए कदम उठाने का आश्वासन दिया है।

जींद, 19 जून (राष्ट्र प्रेस)। हरियाणा के जींद जिले में बंदरों का आतंक चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है। साथ ही, सरकारी अस्पताल में रेबीज इंजेक्शन की कमी ने लोगों की समस्याओं को और बढ़ा दिया है।

पिछले एक हफ्ते से जींद के सिविल अस्पताल में रेबीज वैक्सीन (एंटी-रेबीज वैक्सीन) का स्टॉक समाप्त हो चुका है। मरीजों को मजबूरन निजी दुकानों से 350 रुपये से अधिक की कीमत पर इंजेक्शन खरीदना पड़ रहा है, जो आम जनता के लिए भारी पड़ रहा है। कई मरीज रोज अस्पताल का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।

स्थानीय निवासी नीतू ने अपनी 5 साल की बेटी के साथ अस्पताल पहुंचकर अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी को बंदर ने काट लिया था। इलाज के लिए वे जींद के सरकारी अस्पताल आई थीं और पर्ची भी बनवाई, लेकिन रेबीज कक्ष में पता चला कि इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है। मजबूरन उन्हें बाहर से 370 रुपये में इंजेक्शन खरीदना पड़ा।

नीतू ने कहा, "सरकारी अस्पताल में सुविधा की बात होती है। लेकिन, जब इंजेक्शन ही नहीं मिलता, तो क्या फायदा? गरीब लोग इतने पैसे कहां से लाएं? मेरी बेटी की जान खतरे में थी, फिर हमें बाहर से दवा लेनी पड़ी।"

नीतू जैसे कई मरीज निराश होकर लौट रहे हैं।

जींद में बंदरों की समस्या गंभीर हो गई है। घरों के बाहर खेलने वाले बच्चे और राहगीर अक्सर बंदरों का शिकार बन रहे हैं। एक अन्य मरीज ने बताया कि उनकी 4 साल की बेटी को भी बंदर ने काटा, लेकिन अस्पताल में इंजेक्शन न मिलने से उन्हें परेशानी हुई। स्थानीय लोग डरे हुए हैं और रेबीज इंजेक्शन की कमी ने उनकी चिंता बढ़ा दी है।

जींद सिविल अस्पताल के नोडल अधिकारी डॉ. अजय राणा ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस को बताया कि पिछले एक हफ्ते से रेबीज इंजेक्शन का स्टॉक खत्म है।

उन्होंने कहा, "हमने 21 मार्च 2025 को नया ऑर्डर दिया था और तीन बार रिमाइंडर भी भेजा है। हमें बताया गया है कि आज शाम तक इंजेक्शन की खेप पहुंच सकती है।"

डॉ. राणा के अनुसार, हर महीने अस्पताल में करीब 3,000 रेबीज इंजेक्शन की आवश्यकता होती है, और रोजाना 20 से 30 मरीज इंजेक्शन लगवाने आते हैं। बीपीएल कार्ड धारकों के लिए इंजेक्शन मुफ्त है, जबकि अन्य मरीजों को 100 रुपये प्रति डोज देना पड़ता है।

अस्पताल के एक अन्य अधिकारी डॉ. रवि राणा ने बताया कि इंजेक्शन की आपूर्ति दो जगह से होती है।

उन्होंने कहा, "हमने मई 2025 में टेंडर जारी किया था और 5 फरवरी 2025 को 3,110 डोज प्राप्त हुए थे। लेकिन आपूर्ति में देरी के कारण स्टॉक खत्म हो गया। हम मरीजों की मजबूरी समझते हैं और जल्द समाधान की कोशिश कर रहे हैं।"

उन्होंने भरोसा दिलाया कि खरीद प्रक्रिया पूरी होने के बाद जल्द ही इंजेक्शन उपलब्ध होंगे।

Point of View

हमें यह समझना चाहिए कि स्वास्थ्य सेवाओं में इस तरह की कमी सीधे जनता की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर असर डालती है। यह न केवल एक स्थानीय मुद्दा है, बल्कि पूरे देश के लिए चिंता का विषय है, और सरकार को इस समस्या का समाधान तुरंत करना चाहिए।
NationPress
19/06/2025