क्या देहरादून में कफ सिरप को लेकर केंद्र की एडवाइजरी के बाद सख्ती बढ़ गई है?

सारांश
Key Takeaways
- बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।
- दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को दवा नहीं दी जानी चाहिए।
- कफ सिरप का विवेकपूर्ण उपयोग जरूरी है।
- गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस का पालन आवश्यक है।
- अनावश्यक दवाओं के उपयोग से बचना चाहिए।
देहरादून, 5 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बच्चों में कफ सिरप के उपयोग को लेकर केंद्र सरकार की एडवाइजरी के बाद स्वास्थ्य विभाग ने उत्तराखंड में कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। स्वास्थ्य सचिव और आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, डॉ. आर राजेश कुमार ने सभी जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्साधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है, इसलिए केंद्र की एडवाइजरी का पालन हर स्तर पर सुनिश्चित किया जाए।
भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 3 अक्टूबर को जारी एडवाइजरी के अनुपालन में, राज्य सरकार ने बच्चों में कफ सिरप के विवेकपूर्ण उपयोग और वितरण पर विशेष ध्यान दिया है।
डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि दो वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी भी प्रकार की खांसी या जुकाम की दवा नहीं दी जानी चाहिए, जबकि पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में इन दवाओं का सामान्य उपयोग अनुशंसित नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसी दवाएं केवल विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह, सही खुराक और न्यूनतम अवधि के लिए ही दी जा सकती हैं।
उन्होंने बताया कि अधिकांश मामलों में बच्चों की खांसी और जुकाम की समस्या स्वतः ठीक हो जाती है, इसलिए चिकित्सकों को अनावश्यक रूप से कफ सिरप या संबंधित दवाएं लिखने से बचना चाहिए। स्वास्थ्य सचिव ने सभी जिलों के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि औषधि निरीक्षक चरणबद्ध तरीके से बाजार में उपलब्ध कफ सिरप के नमूने एकत्र करें और उनकी प्रयोगशाला जांच कराएं, ताकि किसी भी दोषपूर्ण या हानिकारक दवा को तत्काल बाजार से हटाया जा सके।
इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि सभी चिकित्सक, औषधि विक्रेता और चिकित्सा संस्थान केंद्र की एडवाइजरी का पूर्ण पालन करें। सभी सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और निजी संस्थानों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि केवल गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (जीएमपी) के अनुसार निर्मित औषधियों की ही खरीद और वितरण किया जाए।
डॉ. आर राजेश कुमार ने जनता से भी अपील की है कि वे बच्चों को किसी भी प्रकार की खांसी या जुकाम की दवा देने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। उन्होंने चेतावनी दी कि प्रतिबंधित या अधोमानक दवाओं के उपयोग पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने आगे कहा कि बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। हर माता-पिता और चिकित्सक को इस दिशा में सतर्क रहना होगा ताकि किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य हानि से बचा जा सके।