क्या माउंट एवरेस्ट से कम ऊंचाई के बावजूद कोई कैलाश पर्वत पर क्यों नहीं चढ़ पाया?
सारांश
Key Takeaways
- कैलाश पर्वत की ऊंचाई 6,638 मीटर है।
- यह भगवान शिव का निवास माना जाता है।
- यहां चढ़ाई करना धार्मिक मान्यता के अनुसार मना है।
- कैलाश मानसरोवर यात्रा में 52 किलोमीटर की परिक्रमा की जाती है।
- चीन ने इस पर्वत पर चढ़ाई पर प्रतिबंध लगाया हुआ है।
नई दिल्ली, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। कैलाश पर्वत दुनिया की सबसे रहस्यमयी और पवित्र चोटियों में से एक है। यह तिब्बत के न्गारी प्रांत में स्थित है और भारत, नेपाल और चीन की सीमाओं के निकट है।
हिंदू धर्म में इसे भगवान शिव का ध्यान और समाधि का स्थान माना जाता है। इसके अलावा, बौद्ध, जैन और बॉन धर्म के अनुयायी भी इसे अत्यधिक पवित्र मानते हैं। इसकी ऊंचाई लगभग 6,638 मीटर है, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि अब तक कोई भी इंसान इसकी चोटी पर नहीं पहुंच पाया है। कैलाश पर्वत की आकृति बिल्कुल पिरामिड जैसी है, जो इसे और भी रहस्यमयी बनाती है।
कहा जाता है कि यह पर्वत धरती का केंद्र है, जहां से पूरी सृष्टि की ऊर्जा फैलती है। हर साल हजारों श्रद्धालु यहां कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए आते हैं। इस यात्रा में लगभग 52 किलोमीटर की पैदल परिक्रमा करनी पड़ती है, जो तीन दिनों में पूरी होती है। ऊंचाई, ऑक्सीजन की कमी और ठंड के कारण यह यात्रा आसान नहीं होती।
अब सवाल यह उठता है कि आज तक कोई कैलाश पर्वत पर क्यों नहीं चढ़ पाया? इसके कई कारण हैं। सबसे पहले, धार्मिक मान्यता के अनुसार, कैलाश पर चढ़ना भगवान शिव की मर्यादा का उल्लंघन माना जाता है। यही वजह है कि श्रद्धालु केवल इसकी परिक्रमा करते हैं, चढ़ाई नहीं। दूसरा कारण है मौसम। यहां पलभर में बर्फीले तूफान आ जाते हैं, जिससे जान का खतरा बना रहता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि कैलाश के आसपास चुंबकीय क्षेत्र बहुत अधिक है, जिसके कारण कंपास और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण काम करना बंद कर देते हैं।
दिशा का अंदाजा न लगने से पर्वतारोहियों का आगे बढ़ना मुश्किल हो जाता है। कुछ पर्वतारोहियों का दावा है कि कैलाश के पास पहुंचते ही उन्हें अजीब ऊर्जा का अनुभव होता है, सिर घूमने लगता है और शरीर बेहद थका हुआ महसूस करता है।
कुछ लोगों ने तो यह भी दावा किया है कि यहां समय की गति तेज है और कुछ ही घंटों में उनके बाल-नाखून बढ़ जाते हैं। चीन सरकार ने भी इस पर्वत की चढ़ाई पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया हुआ है ताकि इसकी पवित्रता बनी रहे।