क्या कल्याण पश्चिम की म्हाडा कॉलोनी पुनर्विकास परियोजना राजनीतिक घमासान का केंद्र बन गई है?

सारांश
Key Takeaways
- भाजपा और शिवसेना के बीच सियासी टकराव बढ़ रहा है।
- 1600 फ्लैट धारकों को अभी तक आवास नहीं मिला है।
- स्थानीय निवासियों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं।
- भूख हड़ताल की चेतावनी दी गई है।
- राजनीतिक नाटकबाज़ी के बीच जनता की आवाज़ को अनसुना किया जा रहा है।
कल्याण, 3 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। कल्याण पश्चिम में म्हाडा कॉलोनी पुनर्विकास परियोजना को लेकर राजनीतिक संघर्ष अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच चुका है। भाजपा के पूर्व विधायक नरेंद्र पवार इस परियोजना को लेकर शिवसेना शिंदे गुट के विधायक विश्वनाथ भोईर पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं, जबकि शिवसेना द्वारा भाजपा के नेताओं पर भी तीखे हमले जारी हैं।
बिड़ला कॉलेज रोड पर स्थित म्हाडा कॉलोनी में यह पुनर्विकास परियोजना पिछले 10 से 12 वर्षों से अधर में है। इस योजना के तहत 1600 फ्लैट धारकों को दो अलग-अलग डेवलपर्स के माध्यम से आवास प्राप्त होने थे, लेकिन आज तक उन्हें उनका घर नहीं मिला। जब तक नए फ्लैट नहीं मिलते, तब तक किराया नहीं लेने की बात तय थी, लेकिन लोग अब बेघर, बेबस और उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। अब यह मामला सियासी घमासान में बदल चुका है।
नरेंद्र पवार ने इस मुद्दे को लेकर मोर्चा खोलते हुए भूख हड़ताल की चेतावनी दी है। उन्होंने विश्वनाथ भोईर पर आरोप लगाया कि वह बिल्डर के पक्ष में खड़े होकर जनता को धोखा दे रहे हैं। पवार ने सवाल उठाया कि क्या विधायक की जिम्मेदारी जनता के प्रति नहीं है? क्या उन्हें बिल्डर ने चुना है या जनता ने? उन्होंने यह भी कहा कि शिंदे गुट के नेताओं की इस परियोजना में निजी स्वार्थ की भूमिका हो सकती है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, विश्वनाथ भोईर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि आवास मंत्री ने विधान परिषद में इस मामले पर सकारात्मक रुख दिखाया है और जल्द ही एक उच्चस्तरीय बैठक होने वाली है। उन्होंने नरेंद्र पवार पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया।
मामला यहाँ तक सीमित नहीं रहा। नरेंद्र पवार ने न केवल भोईर पर, बल्कि अपनी पार्टी के पूर्व सांसद कपिल पाटिल पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कपिल पाटिल भी बिल्डर के पक्ष में काम कर रहे हैं। इस विवाद को और गहराई मिली जब कपिल पाटिल और विधायक भोईर के बीच हुई एक मोबाइल बातचीत सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।
इस पुनर्विकास परियोजना से जुड़े शिवसेना के पूर्व नगरसेवक रवि पाटिल और संजय पाटिल के वार्ड में पिछले 15 वर्षों में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है, जिस पर अब सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि राजनीतिक दलों की आपसी खींचतान में वे बेघर हो गए हैं।
आम निवासियों की उम्मीद अब यह है कि कोई उनके साथ खड़ा हो, उन्हें उनका हक़ दिलाए, और पुनर्विकास के नाम पर हो रही इस राजनीतिक नाटकबाज़ी का अंत करे। वर्षों से किराए के मकानों में रह रहे लोग अब थक चुके हैं और उन्हें इस चिंता में डूबे हुए हैं कि कब उन्हें उनका स्थायी घर मिलेगा।