क्या कन्याकुमारी के सांसद ने ईरान में फंसे 650 मछुआरों की सुरक्षित निकासी के लिए विदेश मंत्रालय से गुहार लगाई?

सारांश
Key Takeaways
- सांसद विजय वसंत ने मछुआरों की सुरक्षित निकासी के लिए गुहार लगाई।
- मछुआरे ईरान के किश द्वीप के पास फंसे हुए हैं।
- 650 से अधिक भारतीय मछुआरे संकट में हैं।
- सांसद ने विदेश मंत्रालय से तत्काल सहायता की मांग की है।
- मछुआरों की स्थिति गंभीर है, और उन्हें खाद्य सहायता की आवश्यकता है।
कन्याकुमारी, 3 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। कन्याकुमारी के सांसद विजय वसंत ने विदेश मंत्रालय से ईरान के किश द्वीप के पास फंसे 650 से अधिक भारतीय मछुआरों को सुरक्षित निकालने के लिए तत्काल अपील की है।
मछुआरों के परिवारों की चिंताओं को देखते हुए, सांसद ने नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पीएआई और एससीओ प्रभाग) एम. आनंद प्रकाश से मुलाकात की और एक औपचारिक पत्र सौंपा।
पत्र में उन्होंने मछुआरों की दयनीय स्थिति का उल्लेख किया, जो भोजन और जरूरी सामान की कमी से जूझ रहे हैं। इजरायल-ईरान संघर्ष के चलते क्षेत्र में बढ़ते तनाव ने उनकी सुरक्षा को और खतरे में डाल दिया है।
सांसद विजय वसंत ने बताया कि ईरान में भारतीय दूतावास के अधिकारी मछुआरों से मिल चुके हैं और उनकी स्थिति का जायजा लिया है। मछुआरों का वर्तमान स्थान और संपर्क विवरण मंत्रालय को उपलब्ध करवा दिया गया है। एंटनी शाजू (+98 9935726208) को समन्वय के लिए मुख्य संपर्क व्यक्ति बनाया गया है।
सांसद ने विदेश मंत्रालय से तुरंत खाद्य सहायता और मछुआरों की भारत में सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि समय पर कार्रवाई न केवल फंसे मछुआरों, बल्कि कन्याकुमारी में उनके इंतजार कर रहे परिवारों के लिए भी राहत प्रदान करेगी। पत्र में सांसद ने लिखा कि मछुआरे किश द्वीप के पास गंभीर परिस्थितियों में हैं। भोजन और अन्य आवश्यक चीजों की कमी के कारण उनमें डर और अनिश्चितता बढ़ रही है। क्षेत्र में तनाव के कारण उनकी जान और आजीविका को खतरा है। कन्याकुमारी के तटीय इलाकों में मछुआरों के परिवार अपनी रोजी-रोटी और अपनों की सुरक्षा के लिए चिंतित हैं।
विजय वसंत ने जोर देकर कहा कि यह एक मानवीय मुद्दा है और विदेश मंत्रालय का त्वरित हस्तक्षेप आवश्यक है। इससे पहले भी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखकर मछुआरों की वापसी के लिए सहायता मांगी थी। मछुआरों के संगठनों, जैसे साउथ एशियन फिशरमेन फ्रैटर्निटी और इंटरनेशनल फिशरमेन डेवलपमेंट ट्रस्ट, ने भी केंद्र सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।