क्या कराईकल अम्माइयार का भव्य मंगनी उत्सव भक्तों के लिए अद्भुत अनुभव है?

सारांश
Key Takeaways
- अम्माइयार का विशेष महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से है।
- मंगनी उत्सव का आयोजन हर साल श्रद्धा के साथ किया जाता है।
- भगवान शिव का पिचादनार रूप भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
- उत्सव में भक्तों की बड़ी संख्या शामिल होती है।
- सुरक्षा के लिए प्रशासन ने व्यापक इंतजाम किए हैं।
कराईकल, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। पुडुचेरी के कराईकल जिला स्थित प्रसिद्ध कराईकल अम्माइयार मंदिर में 8 जुलाई से आरंभ हुए भव्य 'मंगनी उत्सव' का आयोजन जारी है। इस अद्वितीय और आध्यात्मिक उत्सव को देखने के लिए गुरुवार को तमिलनाडु और अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में भक्त एकत्रित हुए। उत्सव के अवसर पर गुरुवार को कराईकल जिले में स्थानीय अवकाश घोषित किया गया है।
63 नयनमार संतों में से एक और कुछ महिला संतों में शामिल कराईकल अम्माइयार को भगवान शिव ने 'अम्मये' कहकर आशीर्वाद दिया था। उनके सम्मान में हर साल मंगनी उत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष यह उत्सव 8 जुलाई से शुरू होकर 11 जुलाई तक चलेगा। भव्य मंगनी उत्सव के माध्यम से 'अम्मये' के जीवन की स्मृति हर साल की जाती है।
उत्सव की शुरुआत दो दिन पहले दूल्हे को पारंपरिक निमंत्रण के साथ हुई, जो दिव्य विवाह का प्रतीक है। इसके बाद कराईकल अम्माइयार और परमदत्त चेट्टियार के प्रतीकात्मक विवाह किए गए। पुजारियों ने वैदिक मंत्रों के साथ धार्मिक आयोजन संपन्न किया और भक्तों को पवित्र अक्षत प्रसाद के रूप में वितरित किया।
कराईकल अम्माइयार के भव्य 'मंगनी उत्सव' का मुख्य आकर्षण है भगवान शिव का पिचादनार (भिक्षुक रूप) में अम्माइयार के घर भोजन मांगने का दृश्य। जैसे ही भगवान की शोभायात्रा सड़कों से गुजरी, भक्तों ने अपनी मन्नतें पूरी होने की कामना के साथ आम चढ़ाए।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, यहां हवा में उछाले गए आमों को पकड़ने की प्रथा है। मान्यता है कि इन आमों को खाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और संतान की प्राप्ति होती है। यह भारत में एक दुर्लभ और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध आयोजन है। प्रांगण में शिव के जयकारों, पारंपरिक ढोल की थाप और भक्तों के शिव तांडव नृत्य ने वातावरण को और भी भक्तिमय बना दिया।
वहीं, जिला प्रशासन ने समारोह के सुचारू संचालन के लिए चौकस व्यवस्था की है। सुरक्षा के लिए 500 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।