कर्नाटक: क्या डीसी ऑफिस के बाहर खुद को आग लगाने वाले किसान की मौत प्रशासन की असंवेदनशीलता का परिणाम है?
सारांश
Key Takeaways
- किसान की आत्मदाह की घटना प्रशासनिक असंवेदनशीलता दर्शाती है।
- समय पर समस्या का समाधान न होने पर किसान ने ऐसा कदम उठाया।
- ग्रामीणों की मांग है कि सरकार इस मामले में निष्पक्ष जांच करे।
मांड्या, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक के मांड्या जिले से एक दर्दनाक घटना का समाचार सामने आया है। जमीन विवाद से परेशान होकर आत्मदाह का प्रयास करने वाले किसान मांजेगौड़ा ने अंतिम सांस ली। इलाज के दौरान उनकी स्थिति लगातार गंभीर होती गई और मंगलवार रात बेंगलुरु के विक्टोरिया अस्पताल में उनका निधन हो गया।
यह घटना मांड्या जिले के केआर पेटे तालुक के मूदनहल्ली गांव की है, जहां रहने वाले किसान मांजेगौड़ा ने कई दिनों तक अपनी जमीन से जुड़े विवाद को लेकर अधिकारियों के चक्कर काटे। शिकायत के बावजूद समाधान नहीं मिलने के कारण वे बेहद निराश हो गए थे। परिवार और ग्रामीणों के अनुसार, अधिकारियों की तरफ से मिल रहे असंतोषजनक जवाब ने उन्हें भीतर से तोड़ दिया था।
इसी हताशा में किसान मांजेगौड़ा मांड्या के डीसी ऑफिस पहुंचे और अचानक अपने ऊपर पेट्रोल डालकर खुद को आग लगा ली। वहां मौजूद लोगों और कर्मचारियों ने तुरंत आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन वह 60 प्रतिशत से अधिक जल चुके थे।
किसान को तुरंत एमआइएमएस अस्पताल ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें बेंगलुरु रेफर किया गया। विक्टोरिया अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन अत्यधिक जलने के कारण वह जीवन की जंग हार गए।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रशासन ने उनकी समस्या को समय पर सुना होता, तो शायद यह दुःखद घटना टल सकती थी।
पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है। मांड्या सेंट्रल पुलिस स्टेशन में एक मामला दर्ज किया गया है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, वे अब यह जांच कर रहे हैं कि आखिर किसान को ऐसा कदम उठाने पर मजबूर किसने किया और भूमि विवाद में प्रशासन की भूमिका क्या रही।
ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और किसान के परिवार को उचित सहायता प्रदान की जाए।