क्या कर्नाटक में अवैध खनन से अर्जित संपत्ति की वसूली के लिए नया कानून आएगा?

सारांश
Key Takeaways
- अवैध खनन के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
- एक मुख्य वसूली अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी।
- राज्य को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई का प्रयास।
बेंगलुरु, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस) - कर्नाटक सरकार ने राज्य में अवैध खनन से अर्जित संपत्ति को जब्त करने के लिए एक नया विधेयक लाने का निर्णय लिया है। यह जानकारी कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने दी।
एचके पाटिल ने कहा, "इस कानून का उद्देश्य अवैध खनन से राज्य को हुए भव्य वित्तीय नुकसान की भरपाई करना है। यह विधेयक न केवल भविष्य में होने वाले अवैध खनन को रोकने का प्रयास करेगा, बल्कि पूर्व में किए गए अवैध कार्यों से हुई कमाई को भी पुनः प्राप्त करने में मदद करेगा।"
उन्होंने बताया कि कर्नाटक में अवैध खनन की समस्या केवल बेल्लारी, तुमकुर और चित्रदुर्ग जिलों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राज्य के हर कोने में फैली हुई है। विभिन्न समितियों द्वारा किए गए चौंकाने वाले खुलासे साझा किए गए हैं।
लोकायुक्त की एक रिपोर्ट ने 2010 के आसपास हुए अवैध खनन से 12,000 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान लगाया था। इसके अतिरिक्त, 5 जुलाई 2015 को मुख्यमंत्री द्वारा गठित एक उप-मंत्रिमंडल समिति ने पाया कि 2010-11 के बाजार मूल्य के अनुसार, 78,000 करोड़ रुपए की अवैध संपत्ति का नुकसान हुआ है।
पाटिल ने यह भी बताया कि 2013 से 2018 तक के अनुमानों के अनुसार, यह आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपए तक जा सकता है। सरकार इस अवैध कमाई की वसूली के लिए एक नया कानून लाने जा रही है। इस कानून के तहत, एक मुख्य वसूली अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी, जिसे इस कार्य के लिए आवश्यक कर्मचारियों को नियुक्त करने का अधिकार होगा।
यह अधिकारी उन सभी व्यक्तियों और कंपनियों की पहचान करेगा जिन्होंने अवैध खनन से लाभ कमाया है, और उनकी संपत्ति को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू करेगा।
यह विधेयक राज्य में हुए अवैध खनन के सभी मामलों को कवर करेगा, चाहे वह किसी भी जिले में हुआ हो।
एचके पाटिल ने कहा कि जल्द ही एक वसूली अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी ताकि इस प्रक्रिया को तेज गति से आगे बढ़ाया जा सके। सरकार का यह कदम अवैध खनन करने वालों के लिए एक कड़ा संदेश है और यह सुनिश्चित करेगा कि राज्य को हुए नुकसान की भरपाई हो सके।