क्या करूर भगदड़ मामले में तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई जांच का विरोध किया?

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क्या करूर भगदड़ मामले में तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई जांच का विरोध किया?

सारांश

तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने करूर भगदड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें सीबीआई जांच का विरोध किया गया है। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने सीबीआई जांच के अंतरिम आदेश को वापस लेने और टीवीके पार्टी की याचिका को खारिज करने की मांग की।

Key Takeaways

  • करूर भगदड़ में कई लोगों की जान गई।
  • डीएमके सरकार ने सीबीआई जांच का विरोध किया।
  • मामला सुप्रीम कोर्ट में गया।
  • मुआवजा राशि की घोषणा की गई।
  • जांच की निगरानी रिटायर्ड जस्टिस द्वारा की जाएगी।

चेन्नई, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तमिलनाडु के करूर जिले में सितंबर में हुई भगदड़ के संदर्भ में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सीबीआई को सौंपी गई जांच का विरोध किया है। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की अगुवाई वाली डीएमके सरकार ने सीबीआई जांच के अंतरिम आदेश को वापस लेने और टीवीके पार्टी की याचिका को खारिज करने की मांग की है।

हलफनामे में सरकार ने उल्लेख किया कि राज्य पुलिस की जांच पूरी तरह से निष्पक्ष और सही दिशा में चल रही थी, इसलिए केंद्रीय एजेंसी की आवश्यकता नहीं है।

यह भगदड़ 27 सितंबर 2025 को अभिनेता से राजनेता बने थलपति विजय की टीवीके पार्टी की चुनावी रैली के दौरान हुई थी। करूर के एक मैदान में हजारों समर्थक इकट्ठा थे, लेकिन, भीड़ प्रबंधन में लापरवाही के कारण अफरा-तफरी मच गई। इस हादसे में कई लोगों की जान चली गई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। कई लोग घायल हुए। राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपए और घायलों को एक लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की थी, जबकि टीवीके ने 20 लाख और 2 लाख रुपए की सहायता का वादा किया।

मामला तब गरमाया जब टीवीके ने मद्रास हाईकोर्ट में स्वतंत्र जांच की मांग की। हाईकोर्ट ने राज्य पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित की, लेकिन पार्टी ने इसे पक्षपाती बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। अक्टूबर 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने टीवीके की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य एसआईटी की जांच पर रोक लगा दी और मामला सीबीआई को सौंप दिया।

अदालत ने इसे नागरिकों के मौलिक अधिकारों से संबंधित गंभीर मुद्दा मानते हुए कहा कि निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय एजेंसी की जांच अनिवार्य है। जांच की निगरानी के लिए रिटायर्ड जस्टिस अजय रस्तोगी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पर्यवेक्षण समिति का गठन किया गया, जिसमें तमिलनाडु कैडर के दो आईपीएस अधिकारी भी शामिल हैं।

अब स्टालिन सरकार ने हलफनामे में दावा किया है कि राज्य द्वारा गठित एसआईटी पर कोई गलत नीयत या भेदभाव का आरोप साबित नहीं हुआ। सरकार ने कहा कि जस्टिस अरुणा जगदीशन की अगुवाई वाला न्यायिक आयोग पहले से ही जांच कर रहा था, इसलिए सीबीआई का हस्तक्षेप अनावश्यक है।

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी घटनाओं को निष्पक्षता से देखें। करूर भगदड़ की घटना ने न केवल सरकार की व्यवस्था को चुनौती दी है, बल्कि यह भी प्रदर्शित किया है कि भीड़ प्रबंधन के मुद्दों को गंभीरता से लेना आवश्यक है।
NationPress
09/12/2025

Frequently Asked Questions

करूर भगदड़ क्या है?
करूर भगदड़ वह घटना है जो 27 सितंबर 2025 को थलपति विजय की रैली के दौरान हुई थी, जिसमें कई लोगों की जान चली गई।
तमिलनाडु सरकार ने सीबीआई जांच का विरोध क्यों किया?
राज्य सरकार का मानना है कि राज्य पुलिस की जांच पूरी तरह से निष्पक्ष है और सीबीआई की आवश्यकता नहीं है।
क्या सीबीआई जांच हुई है?
हाँ, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सीबीआई को सौंप दिया है।
इस मामले में मुआवजे की घोषणा कब की गई थी?
राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों के लिए 10 लाख रुपए और घायलों के लिए एक लाख रुपए मुआवजे की घोषणा की थी।
टीवीके पार्टी ने क्या मांग की थी?
टीवीके पार्टी ने स्वतंत्र जांच की मांग की थी और इसे पक्षपाती बताया था।
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