क्या काशीवासियों ने साइबेरियन पक्षियों का स्वागत किया, मां गंगा की रौनक बढ़ी?

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क्या काशीवासियों ने साइबेरियन पक्षियों का स्वागत किया, मां गंगा की रौनक बढ़ी?

सारांश

साइबेरियन क्रेन का वाराणसी में आगमन हर साल एक अद्भुत नजारा प्रस्तुत करता है। स्थानीय लोग इन पक्षियों का स्वागत करते हैं, और उनका आना घाटों की रौनक बढ़ाता है। जानिए इस बार की खासियतें और स्थानीय लोगों की भावनाएँ।

Key Takeaways

  • साइबेरियन क्रेन का वाराणसी में आगमन हर साल एक खास घटना है।
  • स्थानीय लोग इन्हें दाना खिलाकर उनका स्वागत करते हैं।
  • ये पक्षी गंगा के किनारे चार महीने रहते हैं।
  • इनकी उपस्थिति से घाटों की शोभा बढ़ जाती है।
  • सर्दियों में साइबेरियन क्रेन का आगमन पर्यटकों को आकर्षित करता है।

वाराणसी, १३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हर साल की भांति, इस वर्ष भी बनारस के घाटों पर साइबेरियन क्रेन का आगमन प्रारंभ हो चुका है, जो बनारस की सुंदरता में चार चाँद लगाने का कार्य कर रहे हैं।

ये विदेशी पक्षी न केवल घाटों की रौनक को बढ़ा रहे हैं, बल्कि पर्यटकों को भी आकर्षित कर रहे हैं। काशीवासी इनके आगमन से प्रसन्न हैं और खुले मन से इन्हें दाना खिला रहे हैं।

गंगा तट पर साइबेरियन पक्षियों के आगमन के बाद, स्थानीय निवासियों ने राष्ट्र प्रेस को बताया, "जैसे ही सर्दियाँ शुरू होती हैं, ये पक्षी वाराणसी आ जाते हैं, जिससे घाटों की शोभा और भी बढ़ जाती है। वे गंगा में तैरते हुए मोतियों की तरह दिखते हैं और पर्यटक उनके साथ तस्वीरें लेने का आनंद लेते हैं। उनके आगमन से शहर में खुशी की लहर है और स्थानीय लोग उनका ध्यान रखते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि उन्हें कोई परेशानी न हो।

एक अन्य स्थानीय ने कहा कि ये पक्षी चार महीने की लंबी यात्रा के बाद काशी पहुंचते हैं और उनके आगमन से काशी का स्वरूप पूरी तरह बदल जाता है। हम नाविक समुदाय से हैं और इनकी उपस्थिति से मां गंगा की शोभा और भी बढ़ जाती है। हालांकि, चाइनीज मांझे के कारण कुछ पक्षियों की मृत्यु हो जाती है, जो दुखद है। ये पक्षी काशी के लिए सौभाग्य लेकर आते हैं, क्योंकि उन्होंने रहने के लिए काशी का चयन किया है। हम उन्हें अपने हाथों से खाना खिलाते हैं और वे बड़े प्यार से खाते हैं।

जानकारी के अनुसार, साइबेरियन क्रेन हर साल अक्टूबर में लम्बी यात्रा के बाद वाराणसी पहुँचते हैं और मार्च तक गंगा के किनारे रहते हैं। ये पक्षी मध्य एशिया और पाकिस्तान से होते हुए 5000 किलोमीटर की यात्रा कर बनारस आते हैं। चार महीने तक ये गंगा किनारे अंडे भी देते हैं और पर्यटकों को आकर्षित करने में मदद करते हैं।

साइबेरिया में अक्टूबर और उसके बाद के महीनों में अत्यधिक ठंड होती है, जिसके कारण ये पक्षी अपना जीवन वहाँ नहीं बिता पाते और गंगा को अपना निवास स्थान बनाते हैं।

Point of View

यह देखना महत्वपूर्ण है कि कैसे साइबेरियन क्रेन का आगमन न केवल काशीवासियों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक पर्यावरणीय संकेत है। यह प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ाने के साथ-साथ स्थानीय संस्कृति और पारिस्थितिकी के प्रति जागरूकता भी बढ़ाता है।
NationPress
13/11/2025

Frequently Asked Questions

साइबेरियन क्रेन का वाराणसी में आगमन कब होता है?
साइबेरियन क्रेन हर साल अक्टूबर में वाराणसी पहुँचते हैं।
ये पक्षी कितने समय तक वाराणसी में रहते हैं?
ये पक्षी मार्च तक वाराणसी में रहते हैं।
साइबेरियन क्रेन की यात्रा की लंबाई कितनी होती है?
ये पक्षी मध्य एशिया और पाकिस्तान से होते हुए लगभग 5000 किलोमीटर की यात्रा करते हैं।
स्थानीय लोग इन पक्षियों का किस प्रकार स्वागत करते हैं?
स्थानीय लोग इन्हें दाना खिलाकर और उनकी देखभाल करके स्वागत करते हैं।
क्या साइबेरियन क्रेन के आगमन से पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होती है?
हाँ, साइबेरियन क्रेन के आगमन से वाराणसी में पर्यटकों की संख्या बढ़ती है।