क्या आप जानते हैं कि केदारनाथ के कपाट बंद होने के बाद बाबा केदार कहाँ विराजमान होते हैं?

सारांश
Key Takeaways
- बाबा केदारनाथ के कपाट बंद होने पर वे ऊखीमठ में विराजमान होते हैं।
- ऊखीमठ को भगवान का शीतकालीन निवास कहा जाता है।
- बाबा की पूजा ओंकारेश्वर मंदिर में होती है।
- सर्दियों में अन्य धाम भी अपना स्थान बदलते हैं।
- मंदिर में एक चमत्कारी दीया निरंतर जलता है।
नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भाई दूज के अवसर पर गुरुवार को बाबा केदारनाथ के कपाट बंद कर दिए गए हैं। केदारनाथ मंदिर को बारह ज्योतिर्लिंग और उत्तराखंड के चार धामों में से एक माना जाता है। अब 6 महीने तक बाबा भक्तों को दर्शन नहीं देंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि छह महीने तक बाबा की पूजा कहाँ होती है और वे किस स्थान को अपना दूसरा घर बनाते हैं?
केदारनाथ मंदिर को बारह ज्योतिर्लिंग और उत्तराखंड के चार धामों में से एक माना जाता है, और अब 6 महीने शीतकाल में बाबा भक्तों को दर्शन नहीं देंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बाकी के 6 महीने बाबा की पूजा कहाँ होती है और वे किस स्थल को अपना दूसरा घर बनाते हैं?
सर्दियों में बाबा केदार के द्वार बर्फबारी के कारण बंद हो जाते हैं क्योंकि वहाँ इतनी बर्फबारी होती है कि मंदिर तक पहुँच पाना और आध्यात्मिक गतिविधियाँ करना कठिन हो जाता है। पहाड़ पर स्थित होने के कारण सर्दियों में ऑक्सीजन की कमी भी हो जाती है, इसलिए बाबा को एक दूसरा स्थान दिया जाता है, जो है ऊखीमठ। ऊखीमठ को भगवान का शीतकालीन निवास कहा जाता है, जहाँ केदारनाथ के कपाट बंद होने के बाद बाबा की चलविग्रह पंचमुखी डोली कई स्थानों से होकर यहाँ आती है।
ऊखीमठ में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर को दूसरा केदारनाथ भी कहा जाता है, जहाँ सर्दियों में भी भक्त दूर-दूर से बाबा के दर्शन करने के लिए आते हैं। आने वाले महीनों में बाबा ऊखीमठ से ही भक्तों को दर्शन देंगे। इस मंदिर की बनावट भी केदारनाथ मंदिर से काफी मिलती-जुलती है, जहाँ प्रमुख मंदिर का निर्माण केदारनाथ मंदिर के जैसा ही है लेकिन मंदिर का प्रांगण बड़ा है, जिसमें सुंदर नक्काशी से सजाई गई दीवारें हैं। 6 महीने बाद मंदिर को यहाँ से फिर से शुभ मुहूर्त में वापस केदारनाथ के लिए रवाना कर दिया जाता है।
सर्दियों में केवल बाबा केदार ही अपना स्थल नहीं बदलते, बल्कि गंगोत्री, यमुनोत्री और बद्रीनाथ भगवान भी अपना स्थान बदलते हैं। गंगोत्री धाम को मुखवा में रखा जाता है, यमुनोत्री धाम को खरसाली में स्थापित किया जाता है, जबकि बाबा बद्रीनाथ को पांडुकेश्वर और ज्योर्तिमठ में स्थापित किया जाता है। बर्फबारी के समय चारों धामों को उनके दूसरे निवास पर विराजमान किया जाता है।
बाबा केदारनाथ के कपाट बंद होने के बाद 6 महीने तक वहाँ पूजा-पाठ नहीं होता है, लेकिन फिर भी मंदिर के अंदर 6 महीने तक लगातार एक चमत्कारी दीया जलता रहता है। माना जाता है कि मंदिर में उस दीये के लिए कोई व्यवस्था नहीं होती है, लेकिन फिर भी दीया निरंतर जलता रहता है। दीये के अपने आप जलने के पीछे का रहस्य आज तक अज्ञात है।