क्या केंद्र ने बिहार-झारखंड-पश्चिम बंगाल को दी नई सौगात, भागलपुर-दुमका-रामपुरहाट रेलवे लाइन का होगा दोहरीकरण?

सारांश
Key Takeaways
- रेलवे की क्षमता में वृद्धि
- पर्यावरण के अनुकूल परिवहन
- क्षेत्रीय विकास के अवसर
- बुनियादी ढांचे का सुधार
- जनसंख्या और गांवों को जोड़ना
नई दिल्ली, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने बुधवार को बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में भागलपुर-दुमका-रामपुरहाट एकल रेलवे लाइन खंड (177 किमी) के दोहरीकरण को मंजूरी दी, जिसकी कुल लागत लगभग 3,169 करोड़ रुपए है।
इस परियोजना से रेलवे की लाइन क्षमता में वृद्धि होगी, जिससे भारतीय रेलवे की परिचालन दक्षता और सेवा विश्वसनीयता में सुधार होगा। मल्टी-ट्रैकिंग से परिचालन को सुगम बनाने और भीड़भाड़ को कम करने में मदद मिलेगी, जिससे भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्त खंडों पर बेहद जरूरी बुनियादी ढांचा विकास को बढ़ावा मिलेगा। यह परियोजना प्रधानमंत्री मोदी के नए भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो क्षेत्र के लोगों को आत्मनिर्भर बनाने और व्यापक विकास के माध्यम से रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसरों को बढ़ाने में योगदान देगी।
आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) के अनुसार, पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान पर आधारित यह परियोजना एकीकृत योजना और हितधारकों के परामर्श के माध्यम से मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स दक्षता को बढ़ाने पर केंद्रित है। यह परियोजना लोगों, सामानों और सेवाओं की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करेगी।
प्रेस विज्ञप्ति में कैबिनेट समिति ने बताया कि यह परियोजना बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के 5 जिलों को कवर करेगी और भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में लगभग 177 किलोमीटर की वृद्धि करेगी। यह परियोजना देशभर के तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करने वाले देवघर (बाबा वैद्यनाथ धाम) और तारापीठ (शक्तिपीठ) जैसे प्रमुख स्थानों को बेहतर रेल कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।
मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना से लगभग 441 गांवों और 28.72 लाख की जनसंख्या को जोड़ा जाएगा, साथ ही तीन महत्वाकांक्षी जिलों (बांका, गोड्डा और दुमका) में कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा।
यह मार्ग कोयला, सीमेंट, उर्वरक, ईंट और पत्थर जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए महत्वपूर्ण है। क्षमता वृद्धि से 15 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) अतिरिक्त माल परिवहन संभव होगा। रेलवे पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा-कुशल परिवहन का माध्यम होने के कारण यह परियोजना जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने, लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने, तेल आयात में 5 करोड़ लीटर की कमी और सीओ-2 (कार्बन डाइऑक्साइड) उत्सर्जन (24 करोड़ किलोग्राम) को कम करने में मदद करेगी, जो एक करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।