क्या केंद्र सरकार औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को एआई-ड्रिवन ट्रेनिंग सेंटर में बदलने की योजना बना रही है?
सारांश
Key Takeaways
- औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान को एआई-ड्रिवन ट्रेनिंग सेंटर में बदलने की योजना।
- युवाओं को जमीनी स्तर पर एआई-ड्रिवन कौशल प्रदान करना।
- हब-एंड-स्पोक मॉडल का उपयोग।
- सरकारी और निजी क्षेत्र की भागीदारी।
- कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित।
नई दिल्ली, 18 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को बताया कि केंद्र सरकार देशभर के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) को एआई-ड्रिवन ट्रेनिंग सेंटर में परिवर्तित करने की योजना बना रही है।
राष्ट्रीय राजधानी में इंडियन फाउंडेशन फॉर क्वालिटी मैनेजमेंट (आईएफक्यूएम) के वार्षिक कार्यक्रम में वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार पिछले कुछ वर्षों से कौशल विकास और अपस्किलिंग पर ध्यान केंद्रित कर रही है और इसके लिए बजट में प्रावधान किए गए हैं।
उन्होंने आगे बताया कि आईटीआई तेजी से बदलते उत्पादन वातावरण में योगदान देने में असमर्थ थे, इसलिए केंद्र सरकार ने उन्हें अपग्रेड करने के लिए एक हब-एंड-स्पोक मॉडल लॉन्च किया है।
वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया, "यदि ये आईटीआई राज्य के भीतर हब-एंड-स्पोक मॉडल को अपनाते हैं, तो हम उन्हें एआई-ड्रिवन ट्रेनिंग सेंटर में अपग्रेड करने के लिए आवश्यक धनराशि प्रदान कर सकेंगे।"
उन्होंने कहा, "सरकार ने एआई से संबंधित अनुसंधान एवं विकास और प्रशिक्षण के लिए इंस्टीट्यूशन ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने के लिए कुछ उत्कृष्ट संस्थानों की पहचान की है, जैसे कि आईआईटी या भारतीय विज्ञान संस्थान।"
वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया कि इस बजट का उद्देश्य है कि युवाओं को जमीनी स्तर पर एआई-ड्रिवन कौशल प्रदान किया जाए। चाहे वे स्कूल ड्रॉपआउट हों या पासआउट, और चाहे उनकी कोई डिग्री हो या न हो, एआई से संबंधित कौशल सीखने की इच्छा रखने वाले सभी युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, "सभी को आईटीआई-आधारित योजना में शामिल किया जाएगा। ये हब छात्रों को व्यावहारिक एआई प्रशिक्षण प्रदान करेंगे।"
भारत के युवाओं को शिक्षा पूरी करने के बाद 'क्विक और डायरेक्ट' रोजगार के लिए तैयार करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए वित्त मंत्री ने निजी क्षेत्र की भागीदारी की अपील की।
वित्त मंत्री ने कहा, "युवाओं के पास डिग्री तो है, लेकिन हर व्यक्ति को बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों और भारतीय कंपनियों का हिस्सा बनने के लिए ठीक से तैयार नहीं किया जाता है। यह काम हम सभी को करना होगा। मैं चाहती हूं कि युवाओं को क्विक और डायरेक्ट रोजगार के लिए तैयार करने में सरकार के साथ-साथ निजी क्षेत्र की भी भागीदारी हो।"