क्या केरल सरकार एक माह में प्राइवेट अस्पताल कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन पर ड्राफ्ट अधिसूचना जारी करेगी?
सारांश
Key Takeaways
- केरल सरकार एक महीनें में न्यूनतम वेतन अधिसूचना जारी करेगी।
- यह संशोधन 1.13 लाख स्वास्थ्यकर्मियों को लाभान्वित करेगा।
- प्रबंधन और श्रम विभाग के बीच सहमति नहीं बन पाई है।
- सरकार न्यायसंगत और टिकाऊ वेतन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
- महंगाई के कारण कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई है।
तिरुवनंतपुरम, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केरल सरकार प्राइवेट अस्पतालों में कार्यरत कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन में संशोधन के उद्देश्य से एक महीने के भीतर ड्राफ्ट अधिसूचना जारी करने जा रही है।
राज्य के श्रम एवं शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने सोमवार को यह जानकारी दी और कहा कि इससे राज्य के हजारों स्वास्थ्यकर्मियों की वेतन सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाएगा।
मंत्री ने कहा कि श्रम विभाग के अधिकारियों को न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948 के तहत ड्राफ्ट अधिसूचना जारी करने की सभी औपचारिकताएं जल्द से जल्द पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रस्तावित संशोधन का लाभ केरल के लगभग 2,200 निजी अस्पतालों में काम कर रहे लगभग 1.13 लाख कर्मचारियों को प्राप्त होगा।
मंत्री शिवनकुट्टी ने बताया कि वर्तमान में अधिकांश निजी अस्पताल 2013 की न्यूनतम वेतन अधिसूचना के आधार पर वेतन दे रहे हैं, क्योंकि केरल हाईकोर्ट ने 2018 की अधिसूचना को रद्द कर दिया था। उन्होंने कहा कि बढ़ती महंगाई के कारण पुराने वेतनमान पर काम करने से स्वास्थ्यकर्मियों की आजीविका पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
इस समस्या का समाधान करने के लिए श्रम आयुक्त की अध्यक्षता में गठित न्यूनतम वेतन समिति ने दिसंबर 2023 से मई 2025 के बीच कई दौर की चर्चा की। लेकिन मंत्री के अनुसार, निजी अस्पताल प्रबंधन के प्रतिनिधियों के असहयोगी रवैये के कारण कोई सहमति नहीं बन सकी।
जबकि प्रबंधन ने 2013 के वेतनमान में मामूली बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा, वहीं श्रम विभाग ने उसी अधिसूचना के आधार पर 60 प्रतिशत वेतन वृद्धि की सिफारिश की। ट्रेड यूनियनों ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया, लेकिन प्रबंधन प्रतिनिधियों ने इसे अस्वीकार कर दिया।
शिवनकुट्टी ने बताया कि 27 दिसंबर 2025 को उनकी अध्यक्षता में आयोजित औद्योगिक संबंध समिति की बैठक भी बेनतीजा रही, क्योंकि प्रबंधन के प्रतिनिधि बैठक में शामिल नहीं हुए।
मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार का मानना है कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा सुझाया गया वेतन ढांचा मौजूदा आर्थिक हालात में कर्मचारियों और उनके परिवारों की बुनियादी जरूरतें पूरी करने के लिए अपर्याप्त है।
उन्होंने कहा, “इन परिस्थितियों में सरकार ने न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948 की धारा 5(1)(बी) के तहत आगे बढ़ने का निर्णय लिया है।” उन्होंने बताया कि विभागीय सचिव को एक महीने के भीतर आधिकारिक राजपत्र में ड्राफ्ट अधिसूचना प्रकाशित करने के निर्देश दिए गए हैं।
मंत्री ने दोहराया कि सरकार श्रमिकों के लिए न्यायसंगत, नियमित और टिकाऊ वेतन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और निजी स्वास्थ्य क्षेत्र के कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी।