क्या खगड़िया विधानसभा सीट पर यादव-पासवान समीकरण निर्णायक है?

सारांश
Key Takeaways
- खगड़िया का चुनावी इतिहास 1951 से चलता आ रहा है।
- यहाँ की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर करती है।
- बाढ़ प्रबंधन और रोजगार जैसे मुद्दे आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण होंगे।
- यहाँ के युवा अन्य राज्यों में पलायन कर रहे हैं।
- जातीय समीकरण चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं।
खगड़िया, 23 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के मुंगेर प्रमंडल का खगड़िया जिला 1951 से विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। ब्रिटिश काल में अनुमंडल के रूप में स्थापित यह क्षेत्र मई 1981 में मुंगेर से अलग होकर स्वतंत्र जिला बना।
खगड़िया का भौगोलिक स्वरूप कई नदियों, जैसे गंगा, कोसी, गंडक, बागमती और कमला से प्रभावित है। इसके कारण यहाँ की जमीन एलुवियल (जलोढ़) और दलदली है। जिले का उत्तरी भाग अत्यधिक उपजाऊ है, वहीं दक्षिणी भाग में धान के खेत और वन क्षेत्र हैं। हालांकि, वार्षिक बाढ़ें यहाँ की कृषि व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बनी रहती हैं, जिससे फसलें नष्ट होती हैं और अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है।
क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, जिसमें धान, गेहूं, मक्का और सब्जियाँ प्रमुख फसलें हैं। 2015 में स्थापित मेगा फूड पार्क ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी है। यह खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में एक बड़ी पहल है, जो किसानों को मूल्य संवर्धन और रोजगार के अवसर प्रदान करती है।
भौगोलिक स्थिति के अनुसार, मुंगेर (प्रमंडल मुख्यालय) खगड़िया से 50 किमी दूर है। बेगूसराय (30 किमी) और भागलपुर (80 किमी) निकटवर्ती शहर हैं, जबकि पटना से दूरी लगभग 160 किमी है। विधानसभा क्षेत्र में खगड़िया नगर परिषद, मंसी प्रखंड और खगड़िया प्रखंड की 18 ग्राम पंचायतें शामिल हैं। यह खगड़िया लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। 2024 चुनाव आयोग रिपोर्ट में विधानसभा क्षेत्र की कुल जनसंख्या 4,59,493 है, जिसमें पुरुषों की संख्या 2,38,153 और महिलाओं की संख्या 2,21,340 है। वहीं, कुल मतदाताओं की संख्या 2,67,640 है, जिसमें 1,41,010 पुरुष मतदाता और 1,26,629 महिला मतदाता हैं, जबकि एक थर्ड जेंडर है।
खगड़िया का चुनावी इतिहास गर्वित रहा है। 1951 से अब तक 17 विधानसभा चुनाव हुए हैं। कांग्रेस ने पाँच बार (1952, 1957, 1962, 1967, 1980), और जदयू ने तीन बार (2005, 2010, 2015) जीत हासिल की। संयुक्त समाजवादी पार्टी, निर्दलीय और भाजपा (1972 में भारतीय जनसंघ के रूप में) ने दो-दो बार, जबकि जनता पार्टी, सीपीआई और लोजपा ने एक-एक बार सफलता पाई।
2020 में महागठबंधन ने जीत दर्ज की। जदयू की मौजूदा विधायक पूनम देवी यादव को कांग्रेस के छत्रपति यादव ने मात्र 3,000 वोटों से हराया। लोजपा की रेनू कुमारी ने 20,719 वोट लेकर वोट विभाजन किया, जिससे जदयू हारी।
2024 लोकसभा चुनाव में लोजपा (आर) के राजेश वर्मा ने खगड़िया में मजबूत प्रदर्शन किया, जहाँ विधानसभा क्षेत्र में 19,787 वोटों की बढ़त मिली। इससे जदयू-लोजपा के बीच समझौता मजबूत हुआ। क्षेत्र में बेरोजगारी और पलायन प्रमुख समस्याएं हैं। युवा पटना, दिल्ली या अन्य राज्यों की ओर प्रवास करते हैं। 2025 चुनाव में बाढ़ प्रबंधन, सिंचाई और फूड पार्क विस्तार मुद्दे बनेंगे।
2025 में पहले चरण (6 नवंबर) में मतदान होगा, और मतगणना 14 नवंबर को होगी। वर्तमान में विपक्षी सीट होने के बावजूद एनडीए को बढ़त मिल सकती है। जातीय समीकरण (यादव, कुशवाहा, पासवान) और गुटबाजी निर्णायक होंगे।