क्या खान सर गलत बोलने वाले नेताओं को 99 रुपये में पढ़ा देंगे?

सारांश
Key Takeaways
- खान सर ने राजनीतिक बयानबाजी पर सख्त प्रतिक्रिया दी।
- उन्होंने गलत बोलने वाले नेताओं को 99 रुपये में पढ़ाने का प्रस्ताव रखा।
- जीएसटी सुधारों पर प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद किया।
- शिक्षक दिवस पर उन्होंने शिक्षा के महत्व पर जोर दिया।
पटना, 5 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस की केरल शाखा द्वारा बिहार की तुलना ‘बीड़ी’ से किए जाने के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। इस पर प्रसिद्ध शिक्षक खान सर ने सख्त प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अगर कोई नेता गलत तरीके से बोलता है, तो उन्हें हमारे पास भेजिए, हम उन्हें पढ़ा देंगे। खान सर ने इस अवसर पर अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी अपनी स्पष्ट राय रखी।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से शुक्रवार को विशेष बातचीत में खान सर ने जीएसटी सुधारों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया। शिक्षक दिवस पर उन्होंने छात्रों और शिक्षकों के लिए एक विशेष संदेश भी साझा किया, जिसमें शिक्षा के महत्व और नैतिक मूल्यों पर जोर दिया गया।
कांग्रेस की केरल इकाई की टिप्पणी पर खान सर ने कहा कि हम राजनीति नहीं करते, हम राजनीति पढ़ाते हैं। अगर कोई नेता गलत बोलता है तो उन्हें हमारे पास भेजिए, हम उन्हें 99 रुपए में राजनीति पढ़ा देंगे। अगर उनके पास पैसे नहीं होंगे तो मुफ्त में पढ़ा देंगे। उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि बिहार को ‘बीड़ी’ से तुलना की जाए। जो भी ऐसा कर रहे हैं, उन्हें राजनीति सीखने की जरूरत है और हम सिखाने को तैयार हैं।
जीएसटी सुधारों पर टिप्पणी करते हुए खान सर ने कहा कि हम प्रधानमंत्री मोदी जी के इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देने के लिए आभारी हैं। जहां लग्जरी सामान पर जीएसटी बढ़ाया गया है, वहीं हेल्थकेयर और शिक्षा से जुड़ी कुछ चीजों पर इसे कम किया गया है। हमारी आशा है कि 26 जनवरी तक, जब यह मुद्दा फिर उठेगा, तो शिक्षा पर 18 फीसदी जीएसटी या तो 5 फीसदी कर दिया जाए या पूरी तरह हटा दिया जाए। यह हमारी गुजारिश है और हमें विश्वास है कि प्रधानमंत्री मोदी इसे जरूर सुनेंगे। हम पिछले एक साल से जीएसटी के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे, हर जगह इसकी बात कर रहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री का धन्यवाद है कि उन्होंने शिक्षा और खासकर इंश्योरेंस में जीएसटी कम किया।
शिक्षक दिवस पर खान सर ने छात्रों को पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की। वहीं, शिक्षकों से उन्होंने कहा कि वे शिक्षा को व्यवसाय न बनाएं। सर्वपल्ली राधाकृष्णन को देखिए, उन्होंने शिक्षा को कभी व्यापार नहीं बनाया।