क्या भोजपुरी स्टार खेसारी लाल यादव और उनकी पत्नी राजद में शामिल हो गए?

सारांश
Key Takeaways
- खेसारी लाल यादव और चंदा यादव का राजद में शामिल होना राजनीतिक चर्चा का विषय है।
- तेजस्वी यादव ने चुनावी वादे को दोहराया है।
- चंदा यादव का नाम मतदाता सूची से गायब पाया गया।
- खेसारी के शामिल होने से राजद को युवा मतदाताओं का समर्थन मिलने की उम्मीद है।
- राजद में शामिल होने के बाद खेसारी का चुनावी अभियान जल्द शुरू होने की संभावना है।
पटना, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भोजपुरी अभिनेता खेसारी लाल यादव ने अपनी पत्नी चंदा यादव के साथ मिलकर गुरुवार को तेजस्वी यादव की उपस्थिति में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में कदम रखा, जिससे पार्टी के बिहार चुनाव प्रचार में स्टार पावर का तड़का लग गया।
उनके औपचारिक शामिल होने से पहले, बिहार के राजनीतिक गलियारों में यह अटकलें चल रही थीं कि चंदा यादव आगामी विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरेंगी। ताजा घटनाक्रम से यह संकेत मिलता है कि राजद के टिकट पर खेसारी लाल यादव खुद चुनावी मैदान में उतरेंगे, न कि उनकी पत्नी। हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि दोनों में से कौन चुनाव लड़ेगा।
बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने दंपति का पार्टी में स्वागत करते हुए कहा, "हमने जनता से वादा किया है कि 14 नवंबर के बाद, जब हम सरकार बनाएंगे, तो हम हर उस घर के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का कानून बनाएंगे, जिसके पास सरकारी नौकरी नहीं है। हमने यह वादा किया है और इसे पूरा करेंगे।"
पार्टी के सूत्रों के अनुसार, चंदा यादव का नाम उनके कागजातों की जांच के दौरान बिहार की मतदाता सूची से गायब पाया गया। एकमा (छपरा) के धनाडीह गांव की मूल निवासी, उनका नाम मुंबई की मतदाता सूची में दर्ज था।
परिणामस्वरूप, राजद ने अंतिम समय में उनकी जगह खेसारी लाल यादव को उम्मीदवार बनाने का निर्णय लिया। हालांकि, उन्हें अभी तक पार्टी का चुनाव चिन्ह नहीं मिला है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि आवंटित होते ही वे अपना नामांकन दाखिल करेंगे।
पार्टी में शामिल होने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए खेसारी लाल यादव ने कहा, "हम तेजस्वी के साथ लंबे समय से जुड़े हुए हैं। हम मिलकर काम करेंगे और महागठबंधन के लिए पूरे बिहार में प्रचार करेंगे।"
यह ध्यान देने योग्य है कि भोजपुरी फिल्म जगत में अपार लोकप्रियता हासिल करने वाले खेसारी लाल यादव छपरा के निवासी हैं। राजद को उम्मीद है कि युवाओं और ग्रामीण मतदाताओं के बीच खेसारी की व्यापक लोकप्रियता उनके अभियान को गति देगी और नए समर्थकों को आकर्षित करेगी।