क्या खून और क्रिकेट साथ-साथ चल सकते हैं? : पवन खेड़ा

सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस नेता ने मोदी सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाए।
- खून और क्रिकेट का संबंध एक गंभीर मुद्दा है।
- आत्मरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
- पुलिस और सुरक्षा बलों को जवाबदेह होना चाहिए।
नई दिल्ली, 29 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। वर्तमान में संसद का मानसून सत्र चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर हुई बहस का उत्तर दिया। इस पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने जोरदार पलटवार किया।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से चर्चा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री झूठ बोलते हैं, उन्हें बताना चाहिए कि सबसे पहले सीजफायर पर पोस्ट किसका आया था? ट्रंप का आया था, लेकिन इसके पीछे की वजह क्या है, यह स्पष्ट नहीं है। प्रधानमंत्री ने पहले पोस्ट क्यों नहीं किया? उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए था, लेकिन उनके पास कोई जवाब नहीं है। प्रधानमंत्री ट्रंप का नाम लेने से डर रहे हैं।
खेड़ा ने यह भी सवाल उठाया कि पहलगाम में आतंकी कैसे घुसे? कौन जिम्मेदार है? अमेरिका की तरफ से सीजफायर की घोषणा कैसे हुई? आपने एक बार भी यह कहने की हिम्मत नहीं की कि ट्रंप झूठ बोल रहे हैं। क्यों कोई भी एक देश पाकिस्तान की निंदा नहीं कर रहा है? आपकी विदेश नीति ने क्या हासिल किया है?
उन्होंने कहा कि बयानबाजी से स्थिति नहीं सुधरेगी। भाजपा को सवालों का जवाब देना चाहिए। पहलगाम की विधवाएं जवाब मांग रही हैं। आतंकवादी देश में कैसे घुसे? आप देश के नागरिकों की सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं और केवल बयानबाजी कर रहे हैं। 56 इंच की जुबान और 56 इंच का सीना होना दोनों में बहुत अंतर है, जो संसद में स्पष्ट दिखाई दिया।
कांग्रेस नेता ने कहा कि यदि 'ऑपरेशन सिंदूर' चल रहा है तो भारत-पाकिस्तान के बीच एशिया कप मैच खेलने की तैयारी क्यों की जा रही है? जिस देश के खिलाफ आप हैं, उसी देश के साथ क्रिकेट मैच खेलेंगे। जय शाह का मोह है, जिससे क्रिकेट भी चलेगा। भाजपा का कहना है कि ट्रेड और टेरर साथ नहीं चल सकते, खून-पानी साथ नहीं बहेंगे। खून और क्रिकेट साथ-साथ कैसे चल सकते हैं?