क्या आंदोलन बंद होगा? बच्चू काडू ने सरकार से संवाद की अपील की
सारांश
Key Takeaways
- किसानों का आंदोलन समाप्त नहीं होगा।
- सरकार को किसानों के बीच आकर संवाद करना होगा।
- किसानों की समस्याओं का समाधान करना आवश्यक है।
- आरएसएस के लोगों से भी संवाद की संभावना है।
- बच्चू काडू ने आंदोलन को लेकर अपने विचार स्पष्ट किए।
नागपुर, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री और प्रहार जनशक्ति पार्टी के नेता बच्चू काडू ने बुधवार को राज्य में किसानों के आंदोलन को समाप्त करने से साफ इनकार किया। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में स्पष्ट किया कि किसानों का मौजूदा आंदोलन समाप्त करने का कोई सवाल नहीं उठता।
उन्होंने किसानों के आंदोलन के संबंध में सरकार से किसी भी वार्ता पर अनिच्छा जाहिर की। उन्होंने कहा, "मैं नहीं चाहता कि हम वहां जाएं और यहां पर आंदोलन समाप्त हो जाए या कोई अप्रिय स्थिति उत्पन्न हो। हमने इस आंदोलन को बहुत मुश्किल से खड़ा किया है। अब जब सरकार का ध्यान इस आंदोलन पर गया है, तो मैं यही कहता हूं कि वे हमारे बीच आकर आंदोलनकारी किसानों से संवाद करें।"
उन्होंने कहा कि नागपुर और मुंबई के बीच की कुल दूरी 12 घंटे है। इस समय यदि आंदोलन में कुछ हुआ या कोई अप्रिय स्थिति उत्पन्न हुई, तो निश्चित रूप से हमारा नाम खराब होगा, और ऐसा हम नहीं चाहते। इसी को ध्यान में रखते हुए हम लगातार सरकार से यही अपील कर रहे हैं कि वे हमारे बीच आकर संवाद स्थापित करें।
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि किसानों की समस्याओं का समाधान हो। लेकिन, यहां पर एक पेचीदा स्थिति उत्पन्न हो रही है। एक तरफ हम चाहते हैं कि सरकार के प्रतिनिधि हमारे पास आएं और किसानों की समस्याओं का समाधान करें। वहीं, सरकार चाहती है कि हम उनके पास जाएं। यही पेंच फंस रहा है। हाल ही में चंद्रशेखर बावनकुले का फोन आया था, जिन्होंने हमें आश्वस्त किया कि वे हमारे मुद्दे को सरकार के समक्ष उठाएंगे।
उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर बावनकुले से फोन पर बात हुई, तो उन्होंने मुझसे मुंबई आने का कहा। लेकिन, मेरी आशंका यही है कि यदि हम मुंबई गए और आंदोलन के दौरान कोई अप्रिय स्थिति उत्पन्न हुई, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? इसी कारणवश हम मुंबई जाने से बच रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि मौका मिला, तो हम आरएसएस के लोगों से भी मिलेंगे, क्योंकि यह खारिज नहीं किया जा सकता कि आरएसएस के लोग महाराष्ट्र की सरकार की सुनते हैं।