क्या किसी ने विज्ञान में रुचि बढ़ाई और किसी ने स्कूल को पॉल्यूशन फ्री बनाया? राष्ट्रपति से सम्मान पाकर शिक्षक गदगद

सारांश
Key Takeaways
- शिक्षकों का योगदान शिक्षा के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण है।
- नवाचार से शिक्षा का स्तर बढ़ता है।
- छात्रों के लिए सकारात्मक वातावरण बनाना आवश्यक है।
- शिक्षा को सशक्त बनाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं।
- शिक्षकों को सम्मानित करना प्रेरणा का स्रोत है।
नई दिल्ली, ५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को शिक्षक दिवस के अवसर पर देश के ४५ शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार २०२५ से सम्मानित किया। यह समारोह दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित किया गया, जहां शिक्षकों के योगदान को सराहा गया। सम्मान प्राप्त करने के बाद शिक्षकों ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत की।
एक शिक्षक ने कहा, "यह सम्मान मेरे लिए यादगार है। मैंने बच्चों के साथ जितने अच्छे पल बिताए हैं, उसी का परिणाम है जो आज मुझे सम्मान मिला है। इस सम्मान के लिए मैं एजुकेशन डिपार्टमेंट, भारत सरकार और राष्ट्रपति की आभारी हूं। शिक्षा वह अस्त्र है जिसके माध्यम से हम अपने बच्चों को सशक्त बना सकते हैं कि वे भारत को विश्व गुरु बनाने में अपना योगदान दे सकें।"
एक शिक्षिका ने कहा कि आज के समय में हर लड़की को पढ़ाई करनी चाहिए। अगर लड़की पढ़ेगी तो परिवार, समाज और राष्ट्र अवश्य बढ़ेगा।
दूसरे शिक्षक ने कहा कि हमारी मेहनत को सम्मान मिल रहा है, यह बहुत अच्छी बात है। सम्मान प्राप्त करने के बाद हमारी जिम्मेदारी और बढ़ गई है। अब हमें और अच्छे से मेहनत करनी है और शिक्षा के क्षेत्र में और बेहतर कार्य करना है।
असम से आए शिक्षक देवोतजी घोष ने बताया कि यह "मेरे लिए बहुत ही अनोखा अनुभव है। हमें विद्यार्थियों के बीच भगवान को खोजना चाहिए।"
छत्तीसगढ़ से आई शिक्षिका डॉ. प्रज्ञा घोष ने कहा कि "मैंने अपने विद्यालय में गणित पार्क और लैब बनाई है जिससे छात्राओं की उपस्थिति बढ़ रही है। इसी तरह के नवाचार के चलते मुझे पुरस्कार मिला है। मैं आज बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रही हूं।"
हरियाणा की शिक्षिका सुनीता ने कहा कि राष्ट्रपति के हाथों से पुरस्कार लेना लोगों का सपना होता है, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने इको ब्रीक प्रोजेक्ट बनाया है, जिससे पॉल्यूशन फ्री स्कूल बनाया जा सके।
जम्मू-कश्मीर से आए शिक्षक कुलदीप ने कहा कि यह पुरस्कार मेरे लिए एक सपना था और यह सपना पूरा हो गया। इस सम्मान से हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। इसके साथ ही दूसरों के लिए भी एक प्रेरणा है कि वे आगे बढ़कर काम करें। मेरा काम बच्चों के बीच विज्ञान की रुचि बढ़ाना है। बहुत से बच्चे ऐसे मिलते हैं जो दसवीं तक विज्ञान पढ़ने के बाद ग्यारहवीं में छोड़ देते हैं। हम इसे खत्म कर रहे हैं। हमने १५०० से ज्यादा शिक्षकों को प्रशिक्षित किया है।
सीएम श्री सर्वोदय विद्यालय, सेक्टर ८ रोहिणी दिल्ली के प्रधानाध्यापक अवधेश कुमार झा ने बताया कि हमने देशभक्ति पार्क बनाया है, जिसमें २४ बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं हैं। हमने रीडिंग रूम भी बनाया है, जिसमें ७० बच्चे सुबह ८ से शाम ८ बजे तक ३६५ दिन बैठकर पढ़ाई कर सकते हैं। यह सबसे बड़ा क्रांतिकारी कदम है, जिससे बच्चे काफी अच्छा कर रहे हैं। इसके साथ ही हमने आरबीआई से संपर्क करके कॉमर्स लैब बनाई है, जहां १०० से अधिक कंप्यूटर आरबीआई से सेकेंड हैंड सीएसआर के तहत मिले।