क्या जीएसटी सुधार से आम नागरिक होंगे सशक्त, और 2029 तक भारत बनेगा तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था?

सारांश
Key Takeaways
- जीएसटी सुधार आम नागरिकों को सशक्त बनाएंगे।
- 2029 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा।
- सरकार आर्थिक विकास के लिए निरंतर प्रयासरत है।
- इन सुधारों से टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता आएगी।
- कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों को लाभ होगा।
नई दिल्ली, 5 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने शुक्रवार को कहा कि जीएसटी सुधार देश के आम नागरिकों को सशक्त बनाने और देश की वृद्धि दर को भी उत्तेजित करने में सहायक होंगे।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान मंत्री ने कहा, "यह सुधार आम नागरिकों में आत्मविश्वास को बढ़ाएगा और भारत की वृद्धि दर में तेजी लाने में मदद करेगा।"
उन्होंने कहा कि सरकार आर्थिक विकास को गति देने के लिए लगातार प्रयासरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में जो सुधार किए गए हैं, वे सफल रहे हैं और भारत 2029 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
उन्होंने आगे कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में, हम अपने पोर्ट, शिपिंग और लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम को मजबूत, स्थायी और भविष्य के लिए तैयार बना रहे हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय सहयोग के नए अवसरों का विस्तार होता है।"
सोनोवाल ने कहा कि यह 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के समुद्री निवेश योजना को खोलता है, जिसमें बंदरगाहों और कार्गो टर्मिनल संचालन, मल्टी-मॉडल टर्मिनल, समुद्री सेवाएं, जहाज निर्माण, शिप रीसाइक्लिंग और ग्रीन हाइड्रोजन हब जैसी परियोजनाएं शामिल हैं।
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने जीएसटी 2.0 सुधारों की सराहना की। इन सुधारों से भारत के टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता और पूर्वानुमान आएगा तथा कई सेक्टर में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में सुधार किया गया है।
फिक्की ने कहा कि जीएसटी परिषद द्वारा 22 सितंबर 2025 से लागू होने वाले नव-स्वीकृत द्वि-स्तरीय जीएसटी फ्रेम से श्रम-प्रधान उद्योगों, परिवारों और उपभोग-संचालित विकास को लाभ होगा।
फिक्की की विज्ञप्ति में कहा गया, "जीएसटी 2.0 सुधार उपभोक्ता-केंद्रित और विकास-उन्मुख हैं, जो भारत की कर प्रणाली में पारदर्शिता, पूर्वानुमान और स्थिरता लाते हैं।"
इसमें बताया गया कि कपड़ा, उर्वरक और रिन्यूएबल एनर्जी में सुधार से आयात पर निर्भरता कम होगी और भारतीय वस्तुओं की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि होगी।
उद्योग निकाय ने कहा कि इन सुधारों से परिवारों, श्रम-प्रधान उद्योगों, एमएसएमई और स्वास्थ्य सेवा, कृषि, इंफ्रास्ट्रक्चर और ऑटोमोबाइल जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को सीधा लाभ होगा, जिससे उपभोक्ता लागत कम होगी और उपभोग-संचालित विकास को बढ़ावा मिलेगा।