क्या कोलकाता लॉ कॉलेज बलात्कार मामले में मोबाइल फोन और ब्लड सैंपल की फोरेंसिक रिपोर्ट से आरोपी की पुष्टि हुई?

सारांश
Key Takeaways
- फोरेंसिक रिपोर्टों ने मुख्य आरोपियों की संलिप्तता की पुष्टि की है।
- सीसीटीवी फुटेज ने मामले में महत्वपूर्ण सुराग दिए हैं।
- पुलिस ने 60 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं।
- मिश्रा, अहमद और मुखोपाध्याय को आरोपी माना गया है।
- न्याय की प्रक्रिया में तेजी लाने की आवश्यकता है।
कोलकाता, 26 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। कोलकाता लॉ कॉलेज बलात्कार मामले से जुड़ी दो महत्वपूर्ण फोरेंसिक रिपोर्टों ने इस मामले में तीन मुख्य आरोपियों की संलिप्तता का खुलासा किया है।
सिटी पुलिस के सूत्रों के अनुसार, पहली फोरेंसिक रिपोर्ट एक मुख्य आरोपी, मोनोजीत मिश्रा, के मोबाइल फोन की जाँच पर आधारित है।
पुलिस अधिकारी ने बताया, "मिश्रा के मोबाइल फोन के फोरेंसिक विश्लेषण ने हमें न केवल पिछले महीने लॉ कॉलेज की छात्रा के साथ हुए बलात्कार के बारे में बल्कि इससे पहले किए गए यौन शोषण के आरोपों के ठोस सुराग भी प्रदान किए हैं।"
हालांकि, उन्होंने मामले की अन्य जानकारी देने से इनकार कर दिया। दूसरी फोरेंसिक रिपोर्ट लॉ कॉलेज के गार्ड रूम से एकत्र किए गए ब्लड सैंपल के नमूनों से संबंधित है।
सिटी पुलिस अधिकारी ने कहा, "इस रिपोर्ट ने हमें मिश्रा और अन्य दो आरोपियों, जैब अहमद और प्रमित मुखोपाध्याय, की अपराध में संलिप्तता के बारे में ठोस सुराग दिए हैं। सरल शब्दों में, इन दोनों फोरेंसिक रिपोर्टों में मुख्य आरोपी के खिलाफ कार्रवाई के लिए पर्याप्त सबूत मिले हैं।"
मिश्रा को बलात्कार का मुख्य आरोपी माना गया है, जबकि अहमद और मुखोपाध्याय को सहायक के रूप में पहचाना गया है।
जांच दल ने पहले ही 60 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं। उनके बयानों और लॉ कॉलेज परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से और भी सुराग मिले हैं।
इस सप्ताह, जांच अधिकारियों ने आरोपियों के चाल-ढाल का विश्लेषण किया, जो सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में दर्ज शारीरिक भाषा से मिलान करने का एक वैज्ञानिक तरीका है।
सीसीटीवी फुटेज में, आरोपी पीड़िता को गार्ड रूम में ले जाते हुए दिखाई दे रहे थे, जहां कथित तौर पर उसके साथ बलात्कार किया गया था।