क्या कोलकाता में गीता पाठ के दौरान ठेले वाले की पिटाई हुई?
सारांश
Key Takeaways
- भीड़ हिंसा का मामला गंभीर है।
- पुलिस की निष्क्रियता चिंता का विषय है।
- गरीब विक्रेता की सुरक्षा जरूरी है।
- धार्मिक आयोजनों में कानून का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
- राज्य सरकार को जवाबदेह ठहराना आवश्यक है।
कोलकाता, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। ब्रिगेड परेड ग्राउंड में आयोजित ‘लोखो गीता पाठ’ कार्यक्रम के दौरान एक गरीब पैटीज विक्रेता के साथ कथित तौर पर भीड़ ने मारपीट की और उसकी ठेला-गाड़ी भी तोड़ दी।
आरोप है कि कुछ लोगों को शक हुआ कि वह चिकन पैटीज बेच रहा है, इसके बाद भीड़ बेकाबू हो गई और उस पर हमला कर दिया। पूरी घटना का परेशान करने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
मारपीट के अगले ही दिन वकील और सीपीआईएम नेता सायन बनर्जी ने मैदान थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई। साथ ही उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर दी। याचिका में कहा गया है कि शहर के बीचों-बीच इतनी बड़ी भीड़ हिंसा बर्दाश्त नहीं की जा सकती। पुलिस अब तक खामोश है और कोई केस तक दर्ज नहीं किया गया।
याचिका में सायन बनर्जी ने लिखा है कि गरीब और असंगठित क्षेत्र का यह विक्रेता पूरी तरह असहाय था। भीड़ ने बिना किसी सबूत या उकसावे के उसकी आजीविका छीन ली। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के तहसीन पूनावाला मामले का हवाला देते हुए कहा कि भीड़ द्वारा हिंसा और हत्या पर सख्त दिशानिर्देश पहले से मौजूद हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल पुलिस उन्हें लागू करने में नाकाम रही है।
वकील ने कोर्ट से मांग की है कि हाईकोर्ट खुद इस मामले का संज्ञान ले, राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब करे, सुप्रीम कोर्ट के लिंचिंग रोकने के दिशानिर्देशों को सख्ती से लागू करने का आदेश दे, पीड़ित को उचित मुआवजा दिलवाए और भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए।
वहीं, लोगों का कहना है कि धार्मिक आयोजन के नाम पर अगर कोई भी व्यक्ति कानून अपने हाथ में ले सकता है, तो लोग सुरक्षित कैसे रहेंगे? सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कोर्ट इस याचिका पर जल्द सुनवाई करने वाला है।