क्या कोलकाता में बाइक रैली का आयोजन किया गया, 1971 युद्ध के नायकों को किया गया याद?
सारांश
Key Takeaways
- 54वें विजय दिवस पर बाइक रैली का आयोजन।
- 1971 के युद्ध के नायकों को श्रद्धांजलि।
- रैली में 142 बाइकर्स ने भाग लिया।
- पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ का नेतृत्व।
- बांग्लादेश का जन्म और भारतीय सेना की शक्ति।
कोलकाता, 7 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। 54वें विजय दिवस के अवसर पर पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक अद्भुत बाइक रैली का आयोजन हुआ। इस रैली में भारतीय सेना के जवानों, पूर्व सैनिकों और आम नागरिकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस रैली के माध्यम से 1971 के युद्ध के नायकों और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
विजय दिवस, 1971 में पाकिस्तानी सेना पर भारत की ऐतिहासिक विजय का प्रतीक है, जिसने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान से बांग्लादेश के निर्माण को जन्म दिया। यह दिवस हर साल 16 दिसंबर को मनाया जाता है। इस रैली का आयोजन रविवार को 'राइड फॉर वेलोर- 1971 के युद्ध नायकों को श्रद्धांजलि' के नाम से किया गया। इसका नेतृत्व पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल रामचंद्र तिवारी ने किया।
रैली में कुल 142 बाइकर्स शामिल हुए, जिनमें भारतीय सेना के वर्तमान जवान, पूर्व सैनिक और आम नागरिक शामिल थे। रैली में एक महिला बाइकर झूमा बनर्जी ने कहा, "यहां सभी लोग हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें भारतीय सेना के सदस्य भी शामिल हैं। विजय दिवस में हिस्सा लेकर, हम भारतीय सेना के साथ इस दिन को मना रहे हैं और उनकी सेवा का सम्मान कर रहे हैं।"
इस अवसर पर, एनफील्ड टाइगर्स मोटरसाइकिल क्लब के अध्यक्ष अरिजीत भट्टाचार्य ने कहा, "एक बार फिर भारतीय सेना के साथ जुड़ना मेरे लिए सम्मान की बात है। मैंने भारतीय सेना, बीआरओ और बीएसएफ के साथ कई राइड्स की हैं। इसी साल जनवरी में मैंने भारत-बांग्लादेश बॉर्डर से भारत-पाकिस्तान बॉर्डर तक 5000 किमी की राइड की थी।"
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 का युद्ध 3 दिसंबर को शुरू हुआ और 13 दिनों तक चला। यह युद्ध उस समय के पूर्वी पाकिस्तान में मानवता के संकट के कारण शुरू हुआ था। पाकिस्तानी सेना ने वहां की आम जनता के खिलाफ एक अभियान चलाया था। भारत ने इस लड़ाई में लोगों का साथ देने के लिए दखल दिया।
16 दिसंबर 1971 को, पाकिस्तानी सेना के कमांडर जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी ने भारतीय सेना के सामने औपचारिक रूप से सरेंडर कर दिया। लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने सरेंडर किया, जो कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा मिलिट्री सरेंडर था। इस जीत ने न केवल बांग्लादेश का जन्म दिया, बल्कि भारत को एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में भी स्थापित किया।