क्या कोलकाता में ईडी की बड़ी कार्रवाई: नगरपालिका भर्ती घोटाले में 7 ठिकानों पर छापेमारी और 3 करोड़ रुपए की जब्ती?

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क्या कोलकाता में ईडी की बड़ी कार्रवाई: नगरपालिका भर्ती घोटाले में 7 ठिकानों पर छापेमारी और 3 करोड़ रुपए की जब्ती?

सारांश

कोलकाता में ईडी ने नगरपालिका भर्ती घोटाले के तहत 7 ठिकानों पर छापेमारी की और 3 करोड़ रुपये जब्त किए। यह छापेमारी मुख्य आरोपियों के दफ्तरों और आवासों पर की गई, जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद हुए। जानिए इस घोटाले के पीछे की सच्चाई और ईडी की जांच की गहराई।

Key Takeaways

  • ईडी की कार्रवाई में 3 करोड़ रुपए नकद बरामद हुए।
  • मुख्य आरोपियों के दफ्तरों और आवासों पर छापेमारी हुई।
  • यह घोटाला बोगस सेवाओं से जुड़ा हुआ है।
  • प्रवर्तन निदेशालय की जांच जारी है।
  • भ्रष्टाचार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई आवश्यक है।

कोलकाता, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल में चल रहे नगरपालिका भर्ती घोटाले की जांच के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 28 और 29 अक्टूबर को कोलकाता और आस-पास के क्षेत्रों में 7 स्थानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई ईडी के कोलकाता जोनल कार्यालय द्वारा की गई।

ईडी द्वारा जारी प्रेस नोट के अनुसार, छापेमारी के दौरान मुख्य आरोपियों और उनके सहयोगियों के दफ्तरों एवं आवासों को शामिल किया गया। जिन स्थानों की तलाशी ली गई उनमें रेडिएंट एंटरप्राइज प्राइवेट लिमिटेड, गरोडिया सिक्योरिटीज लिमिटेड, जीत कंस्ट्रक्शन एंड कंसल्टेंट्स जैसी कंपनियों के कार्यालय और उनके प्रमोटरों/निदेशकों के आवास शामिल हैं। इस दौरान ईडी अधिकारियों ने कई आपत्तिजनक दस्तावेज, संपत्ति से संबंधित कागजात, डिजिटल उपकरण और लगभग 3 करोड़ रुपए नकद बरामद किए हैं।

जांच में ईडी को ऐसे सबूत मिले हैं जिनसे पता चला कि नगरपालिका भर्ती घोटाले के मुख्य आरोपियों ने भ्रष्ट पैसे को कंपनियों और फर्मों के माध्यम से “बोगस सेवाओं” (फर्जी सेवाओं) के नाम पर मनी लॉन्ड्रिंग किया। यह भी खुलासा हुआ है कि इन्हीं फर्जी कंपनियों के जरिए घोटाले की राशि को वैध कारोबार के रूप में दिखाया गया ताकि धन शोधन की गतिविधियों को छिपाया जा सके।

इससे पहले, ईडी ने 10 अक्टूबर को भी 13 स्थानों पर छापेमारी की थी, जिनमें पश्चिम बंगाल के अग्निशामक और आपात सेवा मंत्री तथा विधायक सुजीत बोस के कार्यालय और आवास भी शामिल थे। उस दौरान 45 लाख रुपये नकद और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए थे। ईडी ने यह जांच कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर प्रारंभ की थी।

ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि यह घोटाला प्राथमिक शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़ा हुआ है, जिसकी जांच 2023 में शुरू की गई थी। उस दौरान ईडी ने आयन सिल और उनके सहयोगियों के कई ठिकानों पर छापे मारे थे, जिनमें भारी मात्रा में आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य बरामद हुए थे। दस्तावेजों की जांच से पता चला कि यह भर्ती घोटाला केवल शिक्षकों की नियुक्ति तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें कई नगरपालिकाओं में मजदूर, सफाईकर्मी, क्लर्क, चपरासी, ड्राइवर, हेल्पर, पंप ऑपरेटर, सैनिटरी असिस्टेंट जैसे पदों की भी अवैध नियुक्तियां की गईं।

जांच में यह भी पाया गया कि इन नगरपालिकाओं की भर्ती प्रक्रिया का ठेका मेसर्स एबीएस इन्फोज़ोन प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था, जिसके निदेशक आयन सिल हैं। कंपनी को प्रश्नपत्रों की प्रिंटिंग, ओएमआर शीट की जांच और मेरिट लिस्ट तैयार करने का जिम्मा दिया गया था।

ईडी के अनुसार, आयन सिल और कुछ सरकारी अधिकारियों व राजनीतिक नेताओं ने मिलकर साजिश रची और ओएमआर शीट्स में हेराफेरी कर कई अयोग्य उम्मीदवारों की भर्ती करवाई गई। बदले में मोटी रकम ली गई। ईडी ने इस मामले में आयन सिल के खिलाफ कोलकाता की विशेष पीएमएलए अदालत में प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट (चार्जशीट) दायर कर दी है।

एजेंसी ने पहले भी मंत्री रथिन घोष (खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री, पश्चिम बंगाल) और सुजीत बोस समेत कई नेताओं और नगर निगम अधिकारियों के परिसरों पर छापेमारी की थी। ईडी का कहना है कि मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क के हर स्तर पर जांच जारी है और जल्द ही और खुलासे किए जाएंगे।

Point of View

NationPress
30/10/2025

Frequently Asked Questions

ईडी ने कौन सी कार्रवाई की है?
ईडी ने 28 और 29 अक्टूबर को कोलकाता में नगरपालिका भर्ती घोटाले के तहत 7 ठिकानों पर छापेमारी की और 3 करोड़ रुपये बरामद किए।
इस घोटाले में मुख्य आरोपी कौन हैं?
मुख्य आरोपी आयन सिल और कुछ सरकारी अधिकारी हैं, जिन्होंने मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया।
ईडी की जांच का आधार क्या है?
ईडी की जांच कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई द्वारा दर्ज FIR के आधार पर शुरू की गई थी।